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राष्ट्रवाद का नया फिल्मी प्रतीक भाग मिल्खा भाग

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-अजय ब्रह्मात्मज     कुछ राज्यों में ‘भाग मिल्खा भाग’ टैक्स फ्री हो चुकी है। फिल्म का फ्लेवर और कंटेंट कम्युनिकेट हो रहा है। सभी को पसंद आ रहा है। देश और राज्यों के लिए यह राष्ट्रवाद मुफीद है। फ्लाइंग सिख मिल्खा की कहानी में राष्ट्रवाद की झलक है। फिल्म के विभिन्न प्रसंगों में लेखक प्रसून जोशी और निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा उसे जागृत करते हैं। ‘भाग मिल्खा भाग’ विधात्मक रूप से बॉयोपिक नहीं होने के बावजूद अपने स्पिरिट और प्रस्तुति में राष्ट्रवाद की भावना का उद्रेक करती है। हाल-फिलहाल में राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत एक व्यक्ति की कोई और कहानी नहीं मिलती।     ‘भाग मिल्खा भाग’ धावक मिल्खा सिंह की जिंदगी के कुछ महत्वपूर्ण प्रसंगों और घटनाओं को लेकर बुनी गई है। इन घटनाओं में उनकी जीत और हार दोनों शामिल हैं। विभाजन की राष्ट्रीय विभीषिका के साथ उनका निजी अवसाद है। छूटने और बिछुडऩे की तकलीफ के साथ पाने और हासिल करने की खुशी है। ‘भाग मिल्खा भाग’ आजादी के बाद के एक युवक के सपनों के बनने और टूटने की भी कहानी है। आजादी के बाद जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में देश के राष्ट्र निर्माण की लहर चली। निर्म

हिंदी टाकीज पर चेन्‍नई एक्‍सप्रेस

अपने ओवरसीज और देसी बीज दोस्‍तों,दर्शकों और पाठकों के लिए हिंदी टाकीज की यह पेशकश...टिप्‍पणियों से नवाजें।

आनंद गांधी का अनोखा साक्षात्‍कार फिलम सिनेमा से

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चवन्‍नी के पाठकों के लिए यह इंटरव्‍यू फिलम सिनेमा से साभार लिया गया है। ंिहदी के पाठक इसे अवश्‍य पढ़ें और गुनें। गजेन्‍द्र सिंह भाटी को विशेष धन्‍यवाद... आनंद गांधी कौन हैं ? इन फ़िल्मकार का एक रोचक रूप देखना हो तो आगे बढ़ने से पहले Doppelgänger देखें , हैरत होगी। वह 1980 में पैदा हुए तो इस हिसाब से 32 के हो गए हैं। मराठी रंगमंच में उन्होंने कई नाटक लिखे। 2000 के बाद टेलीविज़न के लिए उन्होंने लिखना शुरू किया। वह ‘ क्योंकि सास भी कभी बहू थी ’ के डायलॉग और ‘ कहानी घर घर की ’ के स्क्रीनप्ले लिखने वाली टीम का हिस्सा थे। 2003 में उन्होंने अपनी पहली फ़िल्म ‘ राइट हियर राइट नाओ ’ ( 1 , 2 ) बनाई। तीन साल बाद आनंद ने पांच अध्याय वाली फ़िल्म ‘ कंटिन्युअम ’ ( हंगर , ट्रेड एंड लव , डेथ , एनलाइटनमेंट , कंटिन्युअम ) बनाई। पिछले साल वह अपनी पहली फीचर फ़िल्म ‘ शिप ऑफ थिसीयस ’ लेकर आए। एक ऐसी फ़िल्म जो विश्व के तमाम सम्मानित फ़िल्म समारोहों में जाकर आई है और सबको चौंका कर आई है। ‘ धोबी घाट ’ की निर्देशिका किरण राव और यूटीवी मोशन पिक्चर्स , आनंद की निर्माण कंपनी रीसाइकिलवाला फिल्म्स