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तेवर है 'राम-लीला' में - संजय लीला भंसाली

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-अजय ब्रह्मात्मज संजय लीला भंसाली की 'राम-लीला' के रंग और तेवर सुहाने लग रहे हैं। रणवीर सिंह आैर दीपिका पादुकोण में अदम्‍य उर्जा दिख रही है। यह फिल्‍म आकर्षित कर रही है। 'देवदास' के बाद एक बार फिर यंजय लीला भंशली नयनभिरामी फिल्‍म लेकर आ रहे हैं। इस फिल्‍म के संबंध में उनसे हुई बातचीत  - ‘राम-लीला’ की मूल अवधारणा क्या है? 0 यह शेक्सपीयर के नाटक ‘रोमियो जुलिएट’ पर आधारित फिल्म है। मैंने उस नाटक को अपना स्टार्टिंग पाइंट माना है और अपने ढंग की एक फिल्म बनायी है। गुजरात कुछ इलाकों में अभी तक लोक संस्कृति जीवित है। पुराने परिधान दिख जाते हैं। मैंने वहां की जमीन ली है। ‘देवदास’ के बाद फिर से नाच-गाना और भव्य ट्रीटमेंट की फिल्म लेकर लौट रहा हूं। यह लार्जर दैन लाइफ फिल्म है। - इस फिल्म के साथ एक टैग लाइन है - गोलियों की रासलीला। यह बदलाव कैसे? 0 (हंसते हुए) मेरी फिल्मों में जोरदार थप्पड़ तक नहीं होता था। एक्शन डायरेक्टर शाम कौशल मेरे साथ ‘खामोशी’ के समय से काम कर रहे हैं। एक्शन के नाम पर मेरी फिल्मों में थप्पड़-दो थप्पड़ होते थे। शाम कौशल कहते भी थे कि यह मुझ से क्य

फिल्‍म समीक्षा : वार छोड़ ना यार

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कोशिश हुई बेकार  -अजय ब्रह्मात्‍मज          ऐसी फिल्में कम बनती हैं, लेकिन ऐसी बचकानी फिल्में और भी कम बनती हैं। फराज हैदर ने भारत-पाकिस्तान के बीच विभाजन के बाद जारी पीढि़यों की तनातनी और युद्ध के माहौल को शांति और अमन की सोच के साथ मजाकिया तौर पर पेश किया है। फराज हैदर का विचार प्रशंसनीय है, लेकिन इस विचार को रेखांकित करती उनकी फिल्म 'वार छोड़ ना यार' निराश करती है। सीमा के आर-पार तैनात भारत-पाकिस्तान के कप्तानों के बीच ताश का खेल होता है। हंसी-मजाक और फब्तियां कसी जाती हैं। तनाव बिल्कुल नहीं है। बस जुड़ाव ही जुड़ाव है। इस जुड़ाव के बीच दोनों देशों को विभाजित करते कंटीले तार हैं। युद्ध की संभावना देखते ही एक चैनल की रिपोर्टर रुत दत्ता सीमा पर पहुंच जाती है। युद्ध की विभीषिका से परिचित होने पर वह दोनों देशों के सैनिकों की भावनाओं की सच्ची रिपोर्टिग करती है। जन अभियान आरंभ हो जाता है। दोनों देशों को युद्ध रोकना पड़ता है। फराज हैदर के पास जावेद जाफरी और शरमन जोशी जैसे बेहतरीन कलाकार थे। उन्होंने स्क्रिप्ट की सीमाओं में ही कुछ बेहतर प्रदर्शन की कोशिश की है। छि

यूट्यूब हिंदी टाकीज पर वार छोड़ ना यार

यूट्यूब हिंदी टाकीज पर वार छोड़ ना यार

नी ऊथाँ वाले टूर जाण गे : प्रकाश के रे

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अमिताभ बच्चन और रेखा की कहानी एक दूसरे के बिना अधूरी है, चाहे यह कहानी उनके कैरियर की हो या ज़िंदगी की. इनके बारे में जब भी सोचता हूँ तो कहीं पढ़ा हुआ वाक़या याद आ जाता है. बरसों पहले एक भारतीय पत्रकार दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला से साक्षात्कार कर रहे थे. बातचीत के दौरान उनके प्रेम संबंधों पर सवाल पूछ दिया. तब मंडेला और मोज़ाम्बिक के पूर्व राष्ट्रपति की बेवा ग्रासा मशेल के बीच प्रेम की खबरें ख़ूब चल रही थीं. असहज राष्ट्रपति ने पत्रकार से कहा कि उनका संस्कार यह कहता है कि वे अपने से कम उम्र के व्यक्ति से ऐसी बातें न करें. अमिताभ और रेखा के व्यक्तिगत संबंधों पर टिप्पणी करना मेरे लिए उस पत्रकार की तरह मर्यादा का उल्लंघन होगा. जन्मदिन की बधाई देने के साथ उन दोनों से इस के लिए क्षमा मांगता हूँ. फ़िल्मी सितारों के प्रेम-सम्बन्ध हमेशा से चर्चा का विषय रहे हैं. सिनेमा स्टडीज़ में दाख़िले से पहले इन चर्चाओं को मैं भी गॉसिप भर मानता था लेकिन पहली कुछ कक्षाओं में ही यह जानकारी मिली कि फ़िल्म इतिहास, जीवनी, स्टारडम, पब्लिसिटी, फ़ैन्स, प्रोडक्शन आदि से सम्बंधित शोध में ये ग

ताजातरीन बॉयोपिक ‘शाहिद’

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-अजय ब्रह्मात्मज     हंसल मेहता की ‘शाहिद’ किसी व्यक्ति की जिंदगी पर बने ताजातरीन बॉयोपिक है। फरवरी 2010 में वकील शाहिद आजमी की हत्या उनके दफ्तर में कर दी गई थी। शाहिद ने ताजिंदगी उन असहायों की सहायता की, जो गलत तरीके से शक के आधार पर कैद कर लिए गए थे। उन्होंने ऐसे अनेक आरोपियों को मुक्त करवाया। शाहिद ने इसे अपनी जिंदगी का मुहिम बना लिया था, क्योंकि किशोरावस्था में वे खुद ऐसे झूठे आरोप में टाडा के अंतर्गत गिरफ्तार होकर पांच सालों तक जेल में रहे थे। पांच भाइयों में से एक शाहिद ने आक्रोश में आतंकवादी ट्रेनिंग के लिए कश्मीर की भी यात्रा की थी। वहां के तौर-तरीकों से मोहभंग होने पर मुंबई लौटे तो उन्हें टाडा के तहत सजा हो गई। जेल में ही उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और जेल से निकलने के बाद वकालत की पढ़ाई की। वे कुछ समय तक मशहूर वकील माजिद मेनन के सहायक रहे। फिर अपनी वकालत शुरू की।     शाहिद की हत्या के तीन सालों के अंदर हंसल मेहता ने समीर गौतम सिंह की मदद से उनकी जिंदगी की छानबीन की और इस फिल्म की कहानी लिखी। सच्ची घटनाओं और तथ्यों पर आधारित ‘शाहिद’ में कल्पना का सहारा धागे की तरह किया गया

दरअसल : सीख रहे हैं अमिताभ बच्चन

-अजय ब्रह्मात्मज     इस बार ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की टैगलाइन है  -सीखना बंद तो जीतना बंद। ऐसा लगता है कि सिद्धार्थ बसु और सेानी की टीम ने अमिताभ बच्चन के क्रिया-कलापों को नजदीक से देखने के बाद ही इस टैगलाइन के बारे में सोचा । पिछले कई सालों से अमिताभ बच्चन ‘कौन बनेगा करोड़पति’ पेश कर रहे हैं। हर साल थोड़ी तब्दीली आती है। उस तब्दीली के साथ अमिताभ बच्चन ताजगी ले आते हैं। उनकी सीखने की ललक अभी तक खत्म नहीं हुई है। आम तौर पर भारतीय समाज और परिवार में बुजुर्ग सीखना बंद कर देते हैं। वे नई तकनीक से बहुत घबराते हैं। चाल-चलन और व्यवहार में भी उन्हें नई बातें पसंद नहीं आतीं। यही वजह होती है कि वे हमेशा अपने दिनों और समय की याद करते हैं। खीझते हैं और कुंठित होते हैं।     हिंदी फिल्मों में अमिताभ बच्चन ने चौवालिस साल बिता दिए। कई बार उनके करिअर की इतिश्री की गई और श्रद्धांजलि तक लिखी गई, लेकिन हर बार वे किसी अमरपक्षी की तरह राख से लहरा कर उठे और उन्होंने नई ऊंचाइयां हासिल कीं। फिल्मों के बाद टीवी पर भी सफल पारी खेली। वे अभी तक सक्रिय हैं। फिलहाल उनके प्रशंसक और दर्शक ‘कौन बनेगा करोड़पति’ का आन

अमिताभ सम्पूर्ण अदाकार हैं: दिलीप कुमार

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दिलीप कुमार अपने म्युचुअल एडमिरेशन क्लब के बारे में रघुवेन्द्र सिंह को बता रहे हैं, जो वह अमिताभ बच्चन के साथ शेयर करते हैं मुझे शक्ति फिल्म का जुहू में लिया गया वह शॉट अच्छी तरह याद है - बैकग्राउंड में हेलीकॉप्टर का शोर है, मैं हेलीकॉप्टर से जुहू बीच की रेत पर उतरा हूं, जहां अमित मेरा इंतज़ार कर रहे हैं. वो धीरे-धीरे मेरी और आते हैं. ये मुर्हूत शॉट था और कैमरे के सामने पहली बार हम एक साथ आ रहे थे. ना उनकी कोई लाइन थी बोलने के लिए और ना मेरी. बिना डायलॉग्स के, सिर्फ गहरे जज़्बात का खेल था उस शॉट में. वहां काफी दर्शक मौजूद थे, और पूरी यूनिट फिल्म शुरू करने के लिए बड़े जोश में थी. मुझे साफ़ दिख रहा था कि मेरे सामने एक ऐसा अदाकार खड़ा है जो अपने काम के लिए पूरा समर्पित है और जिसकी अदाकारी में एक ठहराव है जो उनके सधे हुए क़दमों से और उनके चेहरे के भावों की अभिव्यक्ति से साफ़ नजऱ आ रहा था. बाद में जब हम अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे, तब उन्होंने मुझे बताया कि वो बेहद नर्वस थे, क्योंकि उनका यह मेरे साथ पहला सीन था. ये कहना उनका खुलूस और सादगी थी, क्योंकि वो मुझे क

अमिताभ बच्‍च्‍ान के बारे में-2

आगे पढ़ें जॉनी लीवर,यशपाल शर्मा,रणदीप हुडा,रिचा चड्ढा,केके मेनन,मनु ऋषि, चित्रांगदा सिक,संगीत सिवन,राहुल ढोलकिया,राम गोपाल वर्मा,मैरी कॉम,गौरी शिंदे,जेडी चक्रवर्ती,अक्षय कुमार,परेश रावलख्‍प्रीति लिंटा,करण जौहर और रवीश कुमार आदि के विचार अमिताभ बच्‍चन के बारे में...  : जॉनी लीवर बच्चन साहब के साथ ‘ जादूगर ’ फिल्म में काम किया था। उनकी मेहनत देखकर दांतो तले उंगलियां दबाने का मन करता था। याद है मुझे उस फिल्म की शूट चल रही थी। हम सब असिस्टेंट डायरेक्टर से अपने-अपने सीन मांग रहे थे। उस दिन देखा था अमित जी कुर्सियों पर बैठे कुछ बुदबुदा रहे थे। पता किया तो मालूम हुआ कि उन्होंने अपने सीन के स्क्रिप्ट हम लोगों से एक दिन पहले ही मंगवा लिए थे। खुद पर शर्मिंदगी महसूस हुई।  : यशपाल शर्मा ‘ आरक्षण ’ में उनके साथ काम कर पता चल गया कि क्यों उनका कद इतना बड़ा है। उनका स्टार पावर तो जबरदस्त है ही , अदाकारी के मामले में भी वे अपने समकालीन और अगली पीढ़ी के कलाकारों से बहुत आगे हैं। वे इंडस्ट्री के एकमात्र कलाकार हैं , जिनको ध्यान में रखकर भूमिकाएं लिखी जाती हैं। ‘ पा ’ और ‘ ब्लैक ’ जैसी फिल्

अमिताभ बच्‍च्‍ान के बारे में....

आज राकेश ओमप्रकाश मेहरा,आशुतोष राणा,सुरेश शर्मा,मनोज बाजपेयी,विद्या बालन,तिग्‍मांशु धूलिया,संजय चौहान,सोनू सूद,जयदीप अहलावत,राणा डग्‍गुबाती,अविनाश,कमलेश पांडे,जावेद अख्‍तर,शाजान पदमसी,जरीन खान,शक्ति कपूर,श्रेयस तलपडे,साेनाली बेंद्र,असिनएओमी वैद्य,सतीश कौशिक,कुणाल खेमू,रुमी जाफरी,अर्चना पूरन सिंह,मुग्‍धा गोडसे,गौरव सोलंकी,गुलशन देवैया,रजत बरमेचा,रुसलान मुमताज,रानी मुखर्जी,सौरभ शुक्‍ला,कल्कि कोइचलिन,सलमान खान,सुजॉय घोष,विवेक अग्निहोत्री,रजा मुराद,वरुण धवन के विचार अमिताभ बच्‍चन के बारे में....:   राकेश ओमप्रकाश मेहरा अपने अनुभवों से यही कहूंगा कि अमित जी किसी पर भरोसा करहते हैं तो पूरी तरह से खुद को समर्पित कर देते हैं। उनके समर्पण से ही उनकी फिल्में निकली हैं। वे संपूर्ण एक्टर हैं। उन्हें सिर्फ एक बार सहमत करना होता है। उस सहमति के बाद वे फिर कुछ नहीं पूछते। ‘ अक्स ’ के समय तो मैं एकदम नया था , लेकिन सहमति और विश्वास के बाद मेरी पीठ पर अपना हाथ रखा। मुझे पूरा सपोर्ट दिया। कभी किसी दृश्य या संवाद पर नहीं अड़े। ( निर्देशक) : आशुतोष राणा या तो पिता महान होते हैं या पुत्