अग्ली के लिए लिखे गौरव सोलंकी के गीत
अनुराग कश्यप की फिल्म अग्ली के गीत गौरव सोलंकी ने लिखे हैं। मेरा सामान उनके ब्लाग्ा का नाम है। उन्हें आप फेसबुक और ट्विटर पर भी पा सकते हैं। खुशमिजाज गौरव सोलंकी मुंबइया लिहाज से सोशल नहीं हैं,लेकिन वे देश-दुनिया की गतिविधियों से वाकिफ रहते हैं। इन दिनों वे एडवर्ल्ड में आंशिक रूप से सक्रिय हैं। और एक फिल्म स्क्रिप्ट भी लिख रहे हैं। प्रस्तुत हैं अग्ली के गीत... सूरज है कहां सूरज है कहाँ , सर में आग रे ना गिन तितलियां , अब चल भाग रे मेरी आँख में लोहा है क्या मेरी रोटियों में काँच है गिन मेरी उंगलियां क्या पूरी पाँच हैं ये मेरी बंदूक देखो, ये मेरा संदूक है घास जंगल जिस्म पानी कोयला मेरी भूख हैं चौक मेरा गली मेरी, नौकरी वर्दी मेरी धूल धरती सोना रद्दी, धूप और सर्दी मेरी मेरी पार्किंग है, ये मेरी सीट है तेरा माथा है , ये मेरी ईंट है तेरी मिट्टी से मेरी मिट्टी तक आ रही हैं जो , सारी रेलों से रंग से , तेरे रिवाज़ों से तेरी बोली से , तेरे मेलों से कीलें चुभती हैं चीलें दिखती हैं लकड़ियां गीली नहीं हैं तेल है, तीली यहीं है मेरा झंडा