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हिमांशु शर्मा का इंटरव्‍यू

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गजेन्‍द्र सिंह भाटी ने 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्‍स' के लेखक हिमांशु शर्मा का विस्‍तृत इंटरव्‍यू किया है। उनके ब्‍लॉग फिलम सिनेमा से इसे साभार लिया गया है चवन्‍नी के पाठकों के लिए। -गजेन्‍दं सिंह भाटी ‘ क्वीन ’ के बाद कंगना रणौत को पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा। उन्हें शीर्ष कलाकारों ने निजी तौर पर बधाई दी। अपनी कतार में आने का आभास दिया। लेकिन ‘ तनु वेड्स मनु ’ न होती तो ‘ क्वीन ’ भी न होती और कंगना को सकारात्मक छवि नहीं मिलती। एक बाग़ी , खिलंदड़ , वर्जित कार्य करने वाले ऐसी नायिका पहले यूं न दिखी। बदल रहे वक्त में हिमांशु शर्मा ने तनु का पात्र सही टाइमिंग से लिखा। हालांकि फिल्म के अंत को लेकर आपत्तियां हैं लेकिन शुरुआत के लिए ही सही फिल्म उपलब्धि थी। बहुत समय बाद लोकगीतों वाली मिठास “ तब मन्नू भय्या का करिहैं ” गाने में चखी गई। कानपुर या अन्य उत्तर भारतीय शहरों के मध्यम वर्गीय लोगों और उनके संतोषों का चित्रण भी मौलिक तरीके से पेश हुआ। बाद में निर्देशक आनंद राय के साथ हिमांशु की लेखनी ‘ रांझणा ’ लेकर आई। ब

फिल्‍म समीक्षा : तनु वेड्स मनु रिटर्न्‍स

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-अजय ब्रह्मात्म्ज ‘एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दी,फिर मैं अपने आप की भी नहीं सुनता’... पर्दे पर सलमान खान के बोले इस पॉपुलर संवाद को ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स ’(तवेमरि) में मनोज शर्मा उर्फ मनु अपने अंदाज में फेरबदल के साथ बोलते हैं तो पप्पू टोकता है कि तुम क्या सलमान खान हो? सिनेमा और उनके स्टार और गाने हमारी जिंदगी में प्रवेश कर चुके हैं। ‘तवेमरि’ में शाहरुख खान का भी जिक्र आता है। सुनसान सड़कों पर अकेली भटकती तनु के लिए एक पुराना गाना भी गूंजता है ‘जा जा रे बेवफा’। ‘तवेमरि’ में पॉपुलर कल्चर के प्रभाव सिनेमा से ही नहीं लिए गए हैं। उत्तर भारत में प्रचलित ठेठ शब्दों के साथ ‘बहुत हुआ सम्मा न तेरी...’ जैसे मुहावरा बन चुकी पंक्तियों का भी सार्थक इस्तेूमाल हुआ है। याद करें ‘तेलहंडा’ और ‘झंड’ जैसे शब्द आप ने फिल्मों में सुना था क्या ? नहीं न ? ‘तवेमरि’ हमारे समय की ऐसी फिल्मे है,जो उत्तर भारत की तहजीब और तरीके को बगैर संकोच के पेश करती है। इस फिल्म को देखते हुए उत्तर भारत के दर्शक थोड़ा सा हंसेंगे, क्योंकि शब्दक,संवाद और मुहावरे उनकी रोजमर्रा जिंदगी के हैं। शहरी दर्शकों का आन

शादी में प्रेम तो होना ही चाहिए-कंगना रनोट

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-अजय ब्रह्मात्‍मज -पहला सवाल तो यही बनता है कि आप ने हरियाणवी कहां और कैसे सीखी ? ट्रेलर में आप की हरियाणवी सुन कर सभी दंग हैं। 0 आप आए तो थे शूट पर। आप ने देखा था। अपने आप तो कुछ भी नहीं आता। अच्‍छी ट्रेनिंग लेनी पड़ी। मैंने सुनीता जी से सीखी। वह हरियाणा की हैं। अभी मुंबई में रहती हैं। उन्‍होंने ट्यूशन दिया। रिजल्‍ट बहुत अच्‍छा आया। हरियाणवी लोग तक कह रहे हैं कि हिंदी सिनेमा में इतनी साफ हरियाणवी पहले नहीं सुनाई पड़ी। -दत्‍तो किस रूप में तनु से अलग है ? 0 दोनों बिल्‍कुल अलग हैं। दत्‍तो मुंहफट है। तनु केवल अपने बारे में सोचती है। मैनिपुलेट कर लेती है। उसकी शादी में नहीं निभा पाने की एक वजह वह खुद है। तनु का लगता है कि वह दुखी है तो सब खुश क्‍यों हैं ? वह सेल्फिश है। दत्‍तो मैच्‍योर है,जबकि वह तनु से 10 साल छोटी है। उसमें कुछ छिपे गुण हैं। -दत्‍तो के लुक का श्रेय किसे देंगी ? 0 सभी को कलेक्टिव श्रेय देना चाहिए। हिमांशु शर्मा और आनंद राय ने उसे गढ़ा। उन्‍हें छोटे बालों की हरियाणा की टिपिकल एथलीट लड़की चाहिए थी। वह बाहर से सख्‍त अंदर से नर्म लड़की हो। हमारे डि

राज शेखर रिटर्न्स

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-अजय ब्रह्मात्मज     चार साल पहले तनु वेड्स मनु आई थी। इस फिल्म की अनेक खूबियों में एक खूबी इसके गीत थे। इन गीतों को राज शेखर ने लिखा था। संयोग ऐसा ही कि अभी सक्रिय ज्यादातर गीतकार गीत लिखने के उद्देश्य से फिल्मों में नहीं आए हैं। स्वानंद किरकिरे,अमिताभ भट्टाचार्य,वरूण ग्रोवर और राज शेखर के बारे में यह बात सत्य है। इसी वजह से इनके गीतों में हिंदी फिल्मी गीतों की प्रचलित शब्दावली नहीं मिलती। एक अमिताभ भट्टाचार्य को छोड़ दे तो ये गीतकार कम फिल्में करते हैं। राज शेखर को ही लें। तनु वेड्स मनु के बाद अब वे कायदे से रिटर्न हो रहे हैं। बीच में उनके छिटपुट गान कुछ फिल्मों में आए,लेकिन वे याद नहीं रहे। तनु वेड्स मनु रिटर्न्स के गाने फिर से गूंज रहे हैं। राज शेखर इस रिटर्न की वजह तो बताते हैं,लेकिन वे खुद भी नहीं समझ पा रहे हैं कि उन्होंने बीच में दूसरी फिल्में क्यों नहीं की?     राज शेखर बताते हैं,‘मैं निष्क्रिय नहीं रहा। दरमियानी दौर में मैं दो-तीन फिल्मों में गाने लिखे,लेकिन वे नोटिस नहीं हो सके। इस बीच एक स्क्रिप्ट पर काम कर रहा हूं। उसमें काफी रिसर्च है। वह पालिटिकल फिल्म है। इसके अलावा