Posts

करण जौहर से रघुवेन्‍द्र सिंह की बातचीत

Image
करण जौहर का यह इंटरव्‍यू रघुवेन्‍द्र सिंह ने लिया है। य‍ह इंटरव्‍यू फिल्‍मफेयर में छप चुका है। करण जौहर के व्‍यक्तित्‍व के विभिन्‍न पहलुओं को टच करता यह इंटरव्‍यू उनके बारे में विस्‍तृत जानकारी देता है। करण हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री के कर्णधार हैं। Karan Johar -Raghuvendra Singh Karan Johar is one of the most influential names in Hindi cinema. Raghuvendra Singh catches him in a candid mood talking about films, friends, insecurities and relationships Karan Johar has the reputation of being a serious name of influence in the film industry. Whether it’s the A-list stars or the budding new talent, everyone is friends with KJo. He’s that rare breed of filmmaker and celebrity that even dwarfs the aura of some superstars. But Karan Johar is not the proverbial star with an entourage and LV and Gucci embellishments. That part is just a small brooch on the flawlessly style Armani suit that KJo fits into like a glove. The real Karan Johar is a man who drives endlessly establishi

इस प्रेमकहानी में भूत है - अंशय लाल

Image
अंशय लाल -अजय ब्रह्मात्‍मज अनुष्‍का शर्मा की नई फिल्‍म ‘ फिल्‍लौरी ’ के निर्देशक अंशय लाल हैं। अनुष्‍का इस फिल्‍म की अभिनेत्री होने के साथ निर्माता भी हैं। अपने भाई कर्णेश शर्मा के साथ उन्‍होंने ‘ क्‍लीन स्‍लेट ’ प्रोडक्‍शन कंपनी आरंभ की है। नए विषयों और नई प्रतिभाओं को मौका देने के क्रम में ही इस बार उन्‍होंने अंशय लाल को चुना है। दिल्‍ली के अंशय लाल ने मास मीडिया की पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ समय तक माडलिंग की। राइजिंग सन की कोपल नैथानी ने उनकी आरंभिक मदद की। कोपल ने ही ‘ प्‍यार के साइड इफेक्‍ट ’ निर्देशित कर रहे साकेत चौधरी से मिलवाया। अंशय लाल ने वहां क्‍लैप देते थे। तीन सालों तक वहां काम करने और अनुभव बटारने के बाद सहायकों की टीम के साथ अंशय भी शिमित अमीन की ‘ चक दे ’ की टीम में शामिल हो गए। यशराज की एंट्री के बाद नेटवर्क बढ़ता गया। फिर ‘ दोस्‍ताना ’ और ‘ हाउसफुल ’ में सहायक रहे। इतने समय के अनुभवों के बाद उन्‍होंने ब्रेक लिया और स्क्रिप्‍ट लिखी। तीन स्क्रिप्‍ट लिखी और तीनों पर फिल्‍में नहीं बन सकीं तो एक बार भाई के पास अमेरिका जाने का भी खयाल हुआ। इस बीच ऐसा स

मेरे गीतों के हैं अर्थ अनेक - राेहित शर्मा

Image
रोहित शर्मा -अजय ब्रह्मात्‍मज अविनाश दास निर्देशित ‘ अनारकली ऑफ आरा ’ में रोहित शर्मा ने संगीत दिया है। इस फिल्‍म में आरा की अनारवाली की भूमिका स्‍वरा भास्‍कर ने निभायी है। इस फिल्‍म की नायिका अनारकली देसी गायिका है। वह मंच पर गाती है और अपनी अदाओं से दर्शकों को रिझाती है। इस फिल्‍म का खास संगीत रोहित शर्मा ने तैयार किया है। - ‘ अनारकली ऑफ आरा ’ के पहले आप की कौन सी फिल्‍में आई हैं ? 0 आनंद गांधी की ‘ शिप ऑफ थिसियस ’ में मेरा ट्रैक था।   विवेक अग्निहोत्री की फिल्‍म ‘ बुद्धा इन ए ट्रैफिक जैम ’ का संगीत मैंने ही तैयार किया था। फिर बच्‍चों की एक फिल्‍म ‘ शॅर्टकट सफारी ’ में मेरा संगीत था। कुछ और फिल्‍मों में मैंने संगीत दिया। उनमें से कुछ रूक गईं। अभी ‘ अनारकली ऑफ आरा ’ आ रही है। - फिल्‍म संगीत की तरफ कैसे रुझान हुआ ? 0 संगीत के प्रति रुझान बचपन से था। कभी सोचा न‍हीं था कि फिल्‍मों में संगीत निर्देशन करने आ जाऊंगा। घर के दबाव मेंं दिल्‍ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। फिर भी संगीत में रुचि बनी रही। मैंने संगीत की विधिवत शिक्षा ली। मैंने शास्‍त्रीयं संगीत का अभ्‍यास

जुड़वां सोच है हमारी : अनुष्‍का-कर्णेश

Image
-अजय ब्रह्मात्‍मज ग्‍लैमर जगत में फिल्मी पृष्‍ठभूमि की ढेरों प्रतिभाएं हैं। पिता-पुत्र, बाप-बेटी व भाई-बहन की जोड़ी। फरहान-जोया, साजिद-फराह, एकता-तुषार प्रमुख भाई-बहन जोडि़यां हैं। ऐसी ही एक आउटसाइडर जुगलबंदी है, जो अनूठी कहानियों को बड़ा मंच प्रदान कर रही है। अनुष्‍का-कर्णेश शर्मा। अनुष्‍का स्थापित नाम हैं। भाई कर्णेश संग वे अपने बैनर की जिम्मेदारी को बखूबी संभाल रही हैं। ‘ एनएच 10 ’ के बाद ‘ फिल्लौरी ’ दूसरी ऐसी फिल्म है, जिसका निर्माण दोनों ने संयुक्त रूप से ‘ क्‍लीन स्‍लेट फिल्‍म्‍स ’ के अधीन किया है। इस भूमिका के सफर के आगाज को कर्णेश जाहिर करते हैं। वे बताते हैं, ‘ हम दोनों ने यह फैसला बहुत सोच-समझ के लिया हो, ऐसा नहीं है। ‘ एनएच 10 ’ पहला मौका था, जब हम दोनों ने इस भूमिका के बारे में सोचा। हम दरअसल अच्छी कहानियों का मुकम्‍मल मंच मुहैया कराना चाहते हैं। अभी तक तो अच्छा हुआ है। आगे भी ऐसा ही हो। ‘ अनुष्‍का इसमें अपने विचार जोड़ती हैं। उनके शब्दों में, ‘ मुझे ढेर सारे लोगों ने कहा था कि एक अभिनेत्री तब निर्माण में कदम रखती है, जब उनका करियर ढलान पर होता है। मैं

फिल्‍म समीक्षा : रंगून

Image
फिल्‍म रिव्‍यू युद्ध और प्रेम रंगून -अजय ब्रह्मात्‍मज     युद्ध और प्रेम में सब जायज है। युद्ध की पृष्‍ठभूमि पर बनी प्रेमकहानी में भी सब जायज हो जाना चाहिए। द्वितीय विश्‍वयुद्ध के बैकड्रॉप में बनी विशाल भारद्वाज की रंगीन फिल्म ‘ रंगून ’ में यदि दर्शक छोटी-छोटी चूकों को नजरअंदाज करें तो यह एक खूबसूरत फिल्म है। इस प्रेमकहानी में राष्‍ट्रीय भावना और देश प्रेम की गुप्‍त धार है, जो फिल्म के आखिरी दृश्‍यों में पूरे वेग से उभरती है। विशाल भारद्वाज ने राष्‍ट्र गान ‘ जन गण मन ’ के अनसुने अंशों से इसे पिरोया है। किसी भी फिल्म में राष्‍ट्रीय भावना के प्रसंगों में राष्‍ट्र गान की धुन बजती है तो यों भी दर्शकों का रक्‍तसंचार तेज हो जाता है। ‘ रंगून ’ में तो विशाल भारद्वाज ने पूरी शिद्दत से द्वितीय विश्‍वयुद्ध की पृष्‍ठभूमि में आजाद हिंद फौज के हवाले से रोमांचक कहानी बुनी है।     बंजारन ज्वाला देवी से अभिनेत्री मिस जूलिया बनी नायिका फिल्म प्रोड्रयूसर रूसी बिलमोरिया की रखैल है, जो उसकी बीवी बनने की ख्‍वाहिश रखती है। 14 साल की उम्र में रूसी ने उसे मुंबई की चौपाटी से खरीदा था। पाल-प

फिल्‍म समीक्षा : रनिंग शादी

Image
फिल्‍म रिव्‍यू मूक और चूक से औसत मनोरंजन रनिंग शादी -अजय ब्रह्मात्‍मज   अमित राय की फिल्‍म ‘ रनिंग शादी ’ की कहानी का आधा हिस्‍सा बिहार में है। पटना जंक्‍शन और गांधी मैदान-मौर्या होटल के गोलंबर के एरियल शॉट के अलावा पटना किसी और शहर या सेट पर है। अमित राय और उनकी टीम पटना(बिहार) को फिल्‍म में रचने में चूक गई है। संवादों में भाषा और लहजे की भिन्‍नता है। ब्रजेन्‍द्र काला की मेहनत और पंकज झा की स्‍वाभाविकता से उनके किरदारों में बिहारपन दिखता है। अन्‍य किरदार लुक व्‍यवहार में बिहारी हैं,लेकिन उनके संवादों में भयंकर भिन्‍नता है। शूजित सरकार की कोचिंग में बन रही फिल्‍मों में ऐसी चूक नहीं होती। उनकी फिल्‍मों में लोकल फ्लेवर उभर कर आता है। इसी फिल्‍म में पंजाब का फ्लेवर झलकता है,लेकिन बिहार की खुश्‍बू गायब है। टायटल से डॉट कॉम मूक करने से बड़ा फर्क पड़ा है। फिल्‍म का प्रवाह टूटता है। इस मूक-चूक और लापरवाही से फिल्‍म अपनी संभावनाओं को ही मार डालती है और एक औसत फिल्‍म रह जाती है। भरोसे बिहारी है। वह पंजाब में निम्‍मी के पिता के यहां नौकरी करता है। उसकी कुछ ख्‍वाहिशें हैं,जिनकी

दरअसल... पर्दे से गायब आज के प्रेमी युगल

Image
दरअसल... पर्दे से गायब आज के प्रेमीयुगल -अजय ब्रह्मात्‍मज आसपास में नजर दौड़ाएं। कई प्रेमीयुगल मिल जाएंगे। शहर की आपाधापी में नियमित जिंदगी जी रहे ये प्रेमी युगल आकर्षित करते हैं। उनके बीच कुछ ऐसा रहता है कि दूसरे प्रभावित और प्रेरित होते हैं। दकियानूसी और रूढि़वादी प्रौढ़ों और बुजुर्गो को उनसे चिढ़ हो सकती है। उनकी खुली सोच और एक-दूसरे को दी गई आजादी उन्‍हें खल सकती है,लेकिन कभी उनसे बात कर देखें तो वे दिल में दबे प्रेम का किस्‍सा बयान करने से नहीं चूकेंगे। साथ में यह भी जोड़ देंगे कि हमारी कुछ मजबूरियां थीं,कुछ जिम्‍मेदारियां थीं... नहीं तो आज हम भी अपनी या अपने उनके साथ रह रहे होते। प्रेम और साहचर्य ऐसी मजबूरियों और जिम्‍मेदारियों के बीच ही होता है। सबसे पहले जरूरी होता है कि हम समाज के रूढि़गत ढांचे से निकलें। जाति,धर्म और लिंग की पारंपरिक धारणाओं से निकलें। कई बार यह परवरिश से होता है,लेकिन ज्‍यादातर सोहबत व संगत से होता है। वैलेंटाइन डे तीन दिन पहले ही बीता है। इस मौके पर सोशल मीडिया आबाद रहा। खास कर युवाओं के बीच बहुत उम्‍दा उत्‍साह रहा। अच्‍छी बात है कि कट्टरपंथ

मुझ में है साहस - कंगना रनोट

Image
-अजय ब्रह्मात्‍मज दस साल तो हो ही गए। 2006 में अनुराग बसु की ‘ गैंगस्‍टर ’ आई थी। ‘ गैंगस्‍टर ’ में कंगना रनोट पहली बार दिखी थीं। सभी ने नोटिस किया और उम्‍मीद जतायी कि इस अभिनेत्री में कुछ है। अगर सही मौके मिले तो यह कुछ कर दिखाएगी। कंगना को मोके मिले। उतार-चढ़ाव के साथ कंगना ने दस सालों का लंबा सफर तय कर लिया। कुछ यादगार फिल्‍में दीं। कुछ पुरस्‍कार जीते। अपनी खास जगह बनाई। आज कंगना हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री की अगली पंक्ति की हीरोइन हैं। और यह सब उन्‍होंने बगैर किसी खान के साथ काम किए हासिल किया है। गौर करें तो किसी लोकप्रिय निर्देशक ने उनके साथ फिल्‍म नहीं की है। वह प्रयोग भी कर रही हैं। अपेक्षाकृत नए निर्देशकों के साथ काम कर रही हैं। अपने रुख और साफगोई से वह चर्चा में बनी रहती हैं। याद करें तो पहली फिल्‍म ‘ गैंगस्‍टर ’ में उनका नाम सिमरन था और उनकी आगामी फिल्‍म ‘ सिमरन ’ है,जिसके निर्देशक हंसल मेहता हैं। विशाल भारद्ाज की फिल्‍म ‘ रंगून ’ निर्माण के स्‍तर पर कंगना रनोट की सबसे मंहगी और बड़ी फिल्‍म है। हालांकि विशाल भारद्वाज का बाक्‍स आफिस रिकार्ड अच्‍छा नहीं रहा है,

फिल्‍म समीक्षा : द गाजी अटैक

Image
फिल्‍म रिव्‍यू युद्ध की अलिखित घटना द गाजी अटैक -अजय ब्रह्मात्‍मज हाल ही में दिवंगत हुए ओम पुरी की मृत्‍यु के बाद रिलीज हुई यह पहली फिल्‍म है। सबसे पहले उन्‍हें श्रद्धांजलि और उनकी याद। वे असमय ही चले गए। ’ द गाजी अटैक ’ 1971 में हुए भारत-पाकिस्‍तान युद्ध और बांग्‍लादेश की मुक्ति के ठीक पहलं की अलिखित घटना है। इस घ्‍सटना में पाकिस्‍तानी पनडुब्‍बी गाजी को भारतीय जांबाज नौसैनिकों ने बहदुरी और युक्ति से नष्‍ट कर दिया था। फिल्‍म के मुताबिक पाकिस्‍तान के नापाक इरादों को कुचलने के साथ ही भारतीय युद्धपोत आईएनएस विक्रांत की रक्षा की थी और भारत के पूर्वी बंदरगाहों पर नुकसान नहीं होने दिया था। फिल्‍म के आरंभी में एक लंबे डिस्‍क्‍लेमर में बताया गया है कि यह सच्‍ची घटनाओं की काल्‍पनिक कथा है। कहते हैं क्‍लासीफायड मिशन होने के कारण इस अभियान का कहीं रिकार्ड या उल्‍लेख नहीं मिलता। इस अभियान में शहीद हुए जवनों को कोई पुरस्‍कार या सम्‍मन नहीं मिल सका। देश के इतिहास में ऐसी अनेक अलिखित और क्‍लासीफायड घटनाएं होती हैं,जो देश की सुरक्षा के लिए गुप्‍त रखी जाती हैं। ’ द गाजी अटैक ’ ऐसी

फिल्‍म समीक्षा - इरादा

Image
फिल्‍म रिव्‍यू उम्‍दा अभिनय,जरूरी कथ्‍य इरादा -अजय ब्रह्मात्‍मज फिल्‍म के कलाकारों में नसीरूद्दीन शाह,अरशद वारसी और दिव्‍या दत्‍त हों तो फिल्‍म देखने की सहज इच्‍छा होगी। साथ ही यह उम्‍मीद भी बनेगी कि कुछ ढंग का और बेहतरीन देखने को मिलेगा। ‘ इरादा ’   कथ्‍य और मुद्दे के हिसाब से बेहतरीन और उल्‍लेखनीय फिल्‍म है। इधर हिंदी फिल्‍मों के कथ्‍य और कथाभूमि में विस्‍तार की वजह से विविधता आ रही है। केमिकल की रिवर्स बोरिंग के कारण पंजाब की जमीन जहरीली हो गई है। पानी संक्रमित हो चुका है। उसकी वजह से खास इलाके में कैंसर तेजी से फैला है। इंडस्ट्रियल माफिया और राजनीतिक दल की मिलीभगत से चल रहे षडयंत्र के शिकार आम नागरिक विवश और लाचार हैं। कहानी पंजाब के एक इलाके की है। रिया(रुमाना मोल्‍ला) अपने पिता परमजीत वालिया(नसीरूद्दीन शाह) के साथ रहती है। आर्मी से रिटायर परमजीत अपनी बेटी का दम-खम बढ़ाने के लिए जी-तोड़ अथ्‍यास करवाते हैं। वह सीडीएस परीक्षाओं की तैयारी कर रही है। पिता और बेटी के रिश्‍ते को निर्देशक ने बहुत खूबसूरती से चित्रित और स्‍थापित किया है। उनका रिश्‍ता ही फिल्‍म का आधार