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शिक्षा पद्धति बदलने की दरकार : इरफान

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शिक्षा पद्धति बदलने की दरकार : इरफान एडुकेशन के क्षेत्र में चामात्‍कारिक काम करने वालों को मिड डे सराहता है। अपने ‘ एक्‍सलेंस इन एडुकेशन सम्‍मान ’ मुहिम के जरिए। ‘ हिंदी मीडियम ’ भाषाई विभेद और स्‍क्‍ूली शिक्षा की मौजूदा व्‍यवस्था पर एक टेक लेती हुई फिल्म है। इरफान इसमें मुख्‍य भूमिका में हैं। वे मिड डे की इस मुहिम को सपोर्ट करने खास तौर पर सम्‍मान समारोह में आए। इस मौके पर उनसे दैनिक जागरण के फिल्म एडीटर अजय ब्रह्मात्‍मज से खुलकर बातें कीं :   -मिड डे इस इनीशिएटिव को आप किस तरह से देखते हैं ? साथ ही शिक्षा का कितना महत्व मानते हैं आप किसी की जिंदगी में ? वह बहुत ज्यादा है , लेकिन उसकी पद्धति पर गौर फरमाने की दरकार है। उसका तरीका क्या है। यह अजीब सा है कि दो से पांच साल के बच्चों पर स्‍कूली बस्ते का बोझ लाद दिया जाता है। 14-15 तक का होने तक ही उन पर करियर डिसाइड करने का भारी बोझ डाल दिया जाता है। यह सही नहीं है।   - ‘ हिंदी मीडियम ’ का जो विषय है , उससे यकीनन हर कोई जुड़ाव महसूस क र रहा है। बच्‍चों के एडमिशन का इंटरव्‍यू एक तरह से मां-बाप के भी इंटरव्‍यू का समय होत

फिल्‍म समीक्षा : सरकार 3

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फिल्‍म रिव्‍यू निराश करते हैं रामगोपाल वर्मा सरकार 3 -अजय ब्रह्मात्‍मज रामगोपाल वर्मा की ‘ सरकार 3 ’ उम्‍मीदों पर खरी नहीं उतरती। डायरेक्‍टर रामगोपाल वर्मा हारे हुए खिलाड़ी की तरह दम साध कर रिंग में उतरते हैं,लेकिन कुछ समय बाद ही उनकी सांस उखड़ जाती है। फिल्‍म चारों खाने चित्‍त हो जाती है। अफसोस,यह हमारे समय के समर्थ फिल्‍मकार का भयंकर भटकाव है। सोच और प्रस्‍तुति में कुछ नया करने के बजाए अपनी पुरानी कामयाबी को दोहराने की कोशिश में रामगोपाल वर्मा और पिछड़ते जा रहे हैं। अमिताभ बच्‍चन,मनोज बाजपेयी और बाकी कलाकारों की उम्‍दा अदाकारी,रामकुमार सिंह के संवाद और तकनीकी टीम के प्रयत्‍नों के बावजूद फिल्‍म संभल नहीं पाती। लमहों,दृश्‍यों और छिटपुट परफारमेंस की खूबियों के बावजूद फिल्‍म अंतिम प्रभाव नहीं डाल पाती। कहानी और पटकथा के स्‍तर की दिक्‍कतें फिल्‍म की गति और निष्‍पत्ति रोकती हैं। सुभाष नागरे का पैरेलल साम्राज्‍य चल रहा है। प्रदेश के मुख्‍यमंत्री की नकेल उनके हाथों में है। उनके सहायक गोकुल और रमण अधिक पावरफुल हो गए हैं। बीमार बीवी ने बिस्‍तर पकड़ लिया है। तेज-तर्रार देशप

संगीत के जरिए हुई दोस्‍ती : आयुष्‍मान परिणीति

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संगीत के जरिए हुई दोस्‍ती -अजय ब्रह्मात्‍मज आयुष्‍मान खुराना और परिणीति चोपड़ा दोनों ही यशराज फिल्‍म्‍स के बैनर तले आ रही ‘ मेरी प्‍यारी बिंदु ’ में पहली बार साथ नजर आएंगे। यह फिल्‍म कोलकाता की पृष्‍ठभूमि पर बनी है। रोमांस की नई जमीन तलाशती इस फिल्‍म में आयुष्‍मान और परिणीति बिल्‍कुल नए मिजाज के किरदारों में दिखेंगे। सप्‍तरंग के लिए उन दोनों से बातचीत करते समय हम ने औपचारिक सवालों को दरकिनार कर दिया। दोनों कलाकारों को खुद के साथ अपने किरदारों के बारे में बताने की आजादी दी। आयुष्‍मान- तीन साल पहले सौमिक सेन ने मुझे इस फिल्‍म की कहानी सुनाई थी। उसी समय वे परिणीति से भी बात कर रहे थे। तब यह फिल्‍म यशराज के पास नहीं थी। बाद में पता चला कि यशराज के लिए इसे अक्षय राय डायरेक्‍ट कर रहे हैं। मेरी खुशी गहरा गई इस जानकारी से। परिणीति- मुझे लगता है कि हर स्क्रिप्‍ट की अपनी डेस्टिनी होती है। मेरी ‘ इश्‍कजादे ’ के साथ भी यही हुआ था। ‘ मेरी प्‍यारी बिंदु ’ मैंने भी पहले सौमिक दा से सुनी थी। तब किसी और फिल्‍म में व्‍यस्‍त होने की वजह से मैंने मना कर दिया था। बाद में यह फिल्‍म लौट कर

दरअसल : सिनेमा के शोधार्थी

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दरअसल... सिनेमा के शोधार्थी -अजय ब्रह्मात्‍मज पिछले दिनों ट्वीटर पर एक सज्‍जन ने राज कपूर की 1951 की   ‘ आवारा ’ के बारे में लिखा कि यह 1946 में बनी किसी तुर्की फिल्‍म की नकल है। सच्‍चाई यह है कि ‘ आवारा ’ से प्रेरित होकर तुर्की की फिल्‍म ‘ आवारे ’ नाम से 1964 में बनी थी। राज कपूर की ‘ आवारा ’ एक साथ तत्‍कालीन सोवियत संघ,चीन,अफ्रीका,तुर्की और कई देशों में लोकप्रिय हुई थी। जन्‍म और परिवेश से व्‍यक्तित्‍व के निर्माण के बारे में रोचक तरीके से बताती यह फिल्‍म वास्‍तव में इस धारणा को नकारती है कि व्‍यक्ति पैदाइशी गुणों से संचालित होता है। अभी तक ‘ आवारा ’ के विश्‍वव्‍यापी प्रभाव पर विश्‍लेषणात्‍मक शोध नहीं हुआ है। अगर कोई विश्‍वद्यालय,संस्‍थान या चेयर पहल करे तो भारतीय फिल्‍मों के प्रभाव की उम्‍दा जानकारी मिल सकती है। सही जानकारी के अभाव में ‘ आवारा ’ के बारे में फैली सोशल मीडिया सूचना को सही मान कर लोग आगे बढ़ा रहे हैं। एक तो मानसिकता बन गई है कि हम केवल चोरी ही कर सकते हैं। हीनभावना से ग्रस्‍त समाज किसी प्रतिमा के टूटने पर भी गर्व महसूस करता है। उसे बांटता और फैलात

रोज़ाना : रामगोपाल वर्मा की शेखी

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रोज़ाना रामगोपाल वर्मा की शेखी -अजय ब्रह्मात्‍मज रामगोपाल वर्मा ने सुर्खियों में रहना सीख लिया है। आए दिन अपने ट्वीट और अनर्गल बातों से वे मीडिया और फिर लोगों का ध्‍यान खींचत हैं। उनके कई ट्वीट बेमानी,संदर्भहीन और उटपटांग होते हैं। उन पर खबरें बनती हैं। बात बिगड़ती है। फिर रामगोपाल वर्मा माफी मांग लेते हैं। अगले अनर्गल ट्वीट या बयान तक चुप रहते हैं। जैसे ही खबर आई कि शेखर कपूर जल्‍दी ही ब्रूस ली की बेटी शैनन ली के साथ मिल कर उन पर बॉयोपिक बनाएंगे,वैसे ही रामगोपाल वर्मा का ट्रवीट आ गया कि वे भी ब्रूस ली के जीवन पर बॉयोपिक बनाएंगे। उनका दावा है कि वे ब्रूस ली के भक्‍त हैं और उनके बारे में बेटी शैनन ली और शेख कपूर से ज्‍यादा जानते हैं। वे इस फिल्‍म को उसी समय रिलीज करेंगे,जब शेखर कपूर की फिल्‍म रिलीज होगी। इस प्रसंग पर क्‍या कहेंगे ? यह रामगोपाल वर्मा की शेखी नहीं है तो और क्‍या है ? रामगोपाल वर्मा उम्‍दा फिल्‍मकार थे। ‘ थे ’ लिखते हुए तकलीफ हो रही है,क्‍योंकि हैदराबाद से आए रामगोपाल वर्मा ने एक समय मुंबई के फिल्‍मी संविधान को तोड़ दिया था। नए आयडिया और टैलेंट के साथ उ

रोज़ाना : जस्टिन बीबर का जादू

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रोज़ाना जस्टिन बीबर का जादू -अजय ब्रह्मात्‍मज जस्टिन बीबर को सुनने और देखने के लिए देश के किशोर और युवा मुबई की ओर मुखातिब हैं। भारत की पहली यात्रापर आए जस्टिन बीबर के लिए गजब का उत्‍साह है। जस्टिन बीबर इन दिनों पर्पस वर्ल्‍ड टूर पर हैं। 10 मई को मुंबई के डीवाई पाटिल स्‍टेडियम केशे के तुरंत बाद उन्‍हें 14 मई को दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग और 17 मई को केप टाउन में हिस्‍सा लेना है। जून महीने में वे नीदरलैाड,डेनमार्क,नार्वे,स्‍वीडन,स्विटजरलैंड,इटली,आयरलैंड,फ्रांस,जर्मनी,इंग्‍लैंड और कनाडा के दस शहरों में इसवर्ल्‍ड टूर के तहत वे परफार्म करेंगे। माइकल जैक्‍सन के बाद किसी इंटरनेशनल पॉपसिंगर का यह पहला शो है,जिसके प्रति इतनी जिज्ञासा और जोश है। इस बार इंटरनेट से टिकट बुक्रिग की सुविधा के कारण दूसरे शहरों के युवा और किशोरों ने महीनों पहले से अपनी सीट रिजर्व करा ली है। पॉप सिंगर जस्टिन बीबर सोशल मीडिया की खोज और पैदाइश हैं। कभी उनकी मां यूट्यूब पर उनके वीडियो डाला करती थीं। धीरे-धीरे वे वीडियो इतने लोक‍प्रिय हुए कि उसने ऐ टैलेंट एजेंट का ध्‍यान खींचा। उसके कुछ पहले अपने शहर के

दरअसल : नारी प्रधान फिल्‍मों पर उठते सवाल

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दरअसल... नारी प्रधान फिल्‍मों पर उठते सवाल -अजय ब्रह्मात्‍मज हिंदी में हर साल बन रही 100 से अधिक फिल्‍मों में ज्‍यादातर नहीं चल पातीं। उन असफल फिल्‍मों में से ज्‍यादातर पुरुष्‍ प्रधान होती हैं। वे नायक केंद्रित होती है। उनकी निरंतर नाकामयाबी के बावजूद यह कभी लिखा और विचारा नहीं जाता कि नायकों या पुरुष प्रधान फिल्‍मों का मार्केट नहीं रहा। ऐसी फिल्‍मों की सफलता-असफलता पर गौर नहीं किया जाता। इसके विपरीत जब को कथित नारी प्रधान या नायिका केंद्रित फिल्‍म असफल होती है तो उन फिल्‍मों की हीरोइनों के नाम लेकर आर्टिकल छपने लगते हैं कि अब ता उनका बाजार गया। उन्‍होंने नारी प्रधान फिल्‍में चुन कर गलती की। उन्‍हें मसाला फिल्‍मों से ही संतुष्‍ट रहना चाहिए। हाल ही में ‘ बेगम जान ’ और ‘ नूर ’ की असफलता के बाद विद्या बालन और सोनाक्षी सिन्‍हा को ऐसे सवालों के घेरे में बांध दिया गया है। इन दिनों नारी प्रधान फिल्‍में फैशन में आ गई हैं। हर अभिनेत्री चाहती है कि उसे ऐसी कुछ फिल्‍में मिलें,जिन्‍हें उनके नाम से याद किया जा सके। ‘ डर्टी पिक्‍चर ’ , ’ क्‍वीन ’ , ’ मैरी कॉम ’ , ’ पीकू ’ , ’ पिं

रोज़ाना बाहुबली की अद्वितीय लोकप्रियता

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रोज़ाना  बाहुबली की अद्वितीय लोकप्रियता -अजय ब्रह्मात्‍मज इस सदी में ऐसी कोई भारतीय फिल्‍म नहीं दिखती,जिसने पूरे देश दके दर्शकों को समान रूप से आकर्षित किया हो। एसएस राजामौली की ‘ बाहुबली ’ के आरंभ और अंत के कलेक्‍शन ने ट्रेड पंडितों को चौंका दिया है। पूरे देश में ‘ आहुबली ’ के प्रति खुशी और उत्‍साह की लहर है।ऐसे दर्शक घर से निकल कर सिनेमाघरों में पहुंच रहे हैं,जो सालों से टीवी पर ही फिल्‍में देख रहे थे। बाहुबली की लोकप्रियता अद्वितीय है। उसी अनुपात में उसका कलेक्‍शन भी है। सभी जानते हैं कि ‘ बाहुबली 2 ’ ने 1000 करोड़ से अधिक का कलेक्‍शन कर लिया है। ‘ बाहुबली ’ के इस करोड़ से सभी फिल्‍मकारों की सोच में मरोड़ आया है। अच्‍छा है कि हिंदी के निर्माता-निर्देशक भी कुछ बड़ा सोच रहे हैं। पिछले दिनों उत्‍तर प्रदेश के बनारस और इलाहाबाद जाने का मौका मिला। बनारस में कंगना रनोट की ‘ मणिकर्णिका- द क्‍वीन ऑफ झांसी ’ के पोस्‍टा के अनाचरण के साथ फिल्‍म की घोषणा थी। इस अवसर पर कंगना रनोट ने दशाश्‍वमेध घाट की गंगा आरती में हिस्‍सा लिया और गंगा में पवित्र डुबकी भी लगाई। कमल जैन के निर्माण

इस शो से सिग्‍नेचर ऑटोग्राफ बनेगा- सुनील शेट्टी

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इस शो से सिग्‍नेचर ऑटोग्राफ बनेगा- सुनील शेट्टी (ऐंड टीवी पर आरंभ हो रहे इंडियाज असली चैंपियन...है दम ’ के मेजबान सुनील शेट्टी से बातचीत।) -अजय ब्रह्मात्‍मज आज से एंड टीवी पर सुनील शेट्टी की मेजबानी और देखरेख में देश के विभिन्‍न हिस्‍सों से आए प्रतिभागी(6 लड़के और 6 लड़कियां) अपने दमखम का परिचय देंगे। ‘ इंडियाज असली चैंपियन... है दम ’ नाम से आरंभ हो रहे इस रियलिटी शो की थीम ‘ शरीर चुस्‍त,दिमाग दुरूस्‍त ’ से प्रेरित है। पहली बार किसी रियलिटी शो में शारीरिक और मानसिक क्षमता पर जोर दिया जा रहा है। इस रियलिटी शो में ट्रेनर के रूप में शिवोहम और वृंदा मेहता की बड़ी भूमिका होगी। शो के दौरान के तनाव,डर और आशंकाओं को कम करने के लिए परितोष त्रिपाठी को रखा गया है। वे ‘ अन्‍ना का चौकन्‍ना ’ के तहत माहौल को हल्‍का बनाए रखेंगे। पिछले दिनों गोवा में बनाए गए चैंपियन विलेज में जाने और प्रतिभागियों से मिलने का मौका मिला। प्रतिभागियों में सुनील मेनन,अर्जुन खुराना,सुमित कुरहादे,चिन्‍मय म्‍हात्रे,नीरज राव,संजय नेगी,उर्मिमाला बरुआ,ज्‍वॉय सुपा परवीन,गुरलीन कौर ऐश्‍वर्या सलागरे,स्‍वाति चौह

रोज़ाना : डबल रोल (अभिनय की रोचक परीक्षा)

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रोज़ाना डबल रोल (अभिनय की रोचक परीक्षा) -अजय ब्रह्मात्‍मज वरुण धवन ने हाल ही में गुलजार की ‘ अंगूर ’ देखी। संजीव कुमार और देवेन वर्मा के डबल रोल की यह फिल्‍म दर्शकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। सारी जानकारियां होने पर भी इसे बार-बार देखना अच्‍छा लगता है। हर बार हंसी आती है। संजीव कुमार और देवेन वर्मा की जुगलबंदी दस फिल्‍म को यादगार बना चुकी है। वरुण धवन अने पिता डेविड धवन के साथ ‘ जुड़वां ’ फिल्‍म कर रहे हैं। 20 साल पहले 1997 में आई सलमान खान की ‘ जुडवां ’ खूब चली थी। डेविड धवन इसी फिल्‍म की रीमेक अपने बेटे वरुण धवन के साथ बना रहे हैं। वरुण ने अपनी तैयारी में हिंदी में बनी डबल रोल की कुछ फिल्‍में देखीं। उनमें गुलजार की ‘ अंगूर ’ उन्‍हें इतना प्रभावित कर गई कि वे गुलजार से मिल कर ‘ अंगूर ’ के निर्देशन के किस्‍से सुनना चाहते हैं। गुलजार ने उन्‍हें समय दिया और कुछ बताया तो उनके अभिनय में निखार आएगा। डेविड धवन की ‘ जुड़वां ’ रीमेक खुद ही किसी और फिल्‍म की कॉपी थी। यह वह दौर था,जब नकल ही असल हुआ करता था। बहरहाल,1992 में जैकी चान की फिल्‍म ‘ ट्वीन ड्रैगन ’ आई थी। 1994 म