हर बच्चा 'स्पेशल' होता है-आमिर खान



पॉपुलर हिंदी फिल्म स्टारों में आमिर खान अकेले ऐसे अभिनेता हैं, जिनकी फिल्म इतने लंबे गैप के बाद आ रही है। दर्शकों को याद होगा कि उनकी पिछली फिल्म यशराज कैंप की फना थी। उसके बाद आमिर अलग-अलग कारणों से सुर्खियों में जरूर रहे, लेकिन वे साथ ही साथ खामोशी से अपनी नई फिल्म भी पूरी करते रहे। लगान के बाद उनके प्रोडक्शन की दूसरी फिल्म है तारे जमीं पर। वे इसके निर्माता-निर्देशक तो हैं ही, साथ ही इसमें अभिनय भी कर रहे हैं। पिछले दिनों आमिर खान से मुलाकात हुई। प्रस्तुत हैं उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश..
बधाई कि आप अभिनेता और निर्माता के बाद निर्देशक भी बन गए। क्या फिल्म तारे जमीं पर में अभिनेता आमिर खान को निर्देशक आमिर खान ने चुना?

अच्छा सवाल है, लेकिन मैं बता दूं कि इस फिल्म में मेरी भागीदारी पहले एक्टर और प्रोड्यूसर की जरूर थी, लेकिन डायरेक्टर मैं बाद में बन गया। लोग कह सकते हैं कि डायरेक्टर आमिर को एक्टर आमिर गिफ्ट में मिल गया। सच कहूं, तो मैंने सोच रखा था कि जब डायरेक्टर बनूंगा, तो फिल्म में एक्टिंग नहीं करूंगा, लेकिन इस फिल्म में सिचुएशन कुछ ऐसी बनी कि पहले एक्टर, फिर डायरेक्टर बन गया।
फिल्म के बारे में बताएंगे?
रिलीज के पहले किसी फिल्म के बारे में बताना अच्छा नहीं होता। मैं फिल्म की रिलीज के बाद बात करना ज्यादा पसंद करता हूं। मेरा मानना है कि दर्शक पहले अनुभव हासिल करें। तारे जमीं पर एक बच्चे की कहानी है। उसे स्कूल में तकलीफ हो रही है। उसके पैरेंट्स उसे संभाल और समझ नहीं पा रहे हैं। उस बच्चे की जिंदगी में एक टीचर आता है, जो उसे खिलने का मौका देता है और इस तरह उस बच्चे की जिंदगी बदल जाती है। इस कहानी में हम एक मुद्दा यह उठा रहे हैं कि हर बच्चा स्पेशल होता है। स्पेशल शब्द के दो अर्थ हैं, एक तो यह कि हर बच्चे में खास क्वालिटी होती है और दूसरा यह कि जब हम कहते हैं कि यह स्पेशल बच्चा है, तो यहां स्पेशल का मतलब किसी तकलीफ से होता है। हालांकि उस तकलीफ को भी हम प्यार से दूर कर सकते हैं।
कहते हैं कि बच्चे जबरदस्त एक्टर होते हैं। उन्होंने कैसी चुनौती दी आपको?
बच्चे कमाल का काम करते हैं। ऐसा इसलिए कि उनके अंदर कोई कॉम्प्लेक्स नहीं होता। मेरी फिल्म में आठ-नौ साल के बच्चे हैं। वे इंस्ट्रक्शन भी समझ लेते थे। फिल्म के मुख्य बच्चों के अलावा, बाकी बच्चों ने भी कमाल का योगदान दिया है। मुख्य बच्चा ईशान है। उसका रोल दर्शील सफारी ने किया है। मेरी समझ से उसका यह काम इस साल का बेहतरीन काम माना जाएगा। सिर्फ बच्चों के बीच ही नहीं, वह इस साल बड़े एक्टर के लिए भी चुनौती बनेगा। इन बच्चों ने मुझे सेट पर चुनौती तो नहीं दी, क्योंकि मैं किसी से तुलना नहीं करता। हां, उनके अच्छे काम की वजह से मेरा काम भी और अच्छा हो गया।
तारे जमीं पर में आप टीचर राम शंकर निकुंभ की भूमिका निभा रहे हैं, जो कि देखने में टीचर नहीं लगता?
हां, यही खासियत है इस टीचर की। अमोल गुप्ते (फिल्म के लेखक) ने अपने किसी शिक्षक का नाम दिया है इस किरदार को। निकुंभ खुले दिल का टीचर है। वह बच्चों को पढ़ाने के लिए किसी भी नियम या पारंपरिक तरीके का पालन नहीं करता। उसका मानना यही है कि हर बच्चा अलग होता है, इसलिए हर बच्चे को अलग तरीके से पढ़ाना चाहिए। वह बेहद संवेदनशील है। दूसरे पर क्या बीत रही है, इसका अहसास उसे तुरंत हो जाता है। गौर करें, तो निकुंभ सर की हेयर स्टाइल, कपड़े, जूते भी आज की स्टाइल के हैं। यही कारण है कि वह बच्चों में पॉपुलर है।
इस फिल्म ने आपको किस रूप में बदला?
बच्चों को देखने और समझने का हमारा नजरिया बदल गया है। इस फिल्म को अभी तक जितने लोगों ने देखा है, सभी का कहना है कि इसने बच्चों को देखने का उनका नजरिया बदल दिया है।
क्या मान लें कि आपकी इस फिल्म से भी समाज में नई चेतना आएगी?
मुझे उम्मीद है। लोग मुझसे पूछते हैं कि तारे जमीं पर ऑफ बीट फिल्म है क्या? मेरा जवाब होता है कि मैं ऑफ बीट फिल्में ही करता हूं। दर्शक उन्हें पसंद करते हैं और वे मेनस्ट्रीम की फिल्में हो जाती हैं। अब दर्शकों को कुछ अलग चाहिए। कुछ ठोस चाहिए। उन्हें लगे कि हां यार, कोई बात कही। रंग दे बसंती की तरह ही तारे जमीं पर भी प्रेरक फिल्म होगी।

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