फ़िल्म समीक्षा:सिंह इज किंग

नए ट्रेंड की कॉमेडी
-अजय ब्रह्मात्मज
खून खौलने का मुहावरा आपने जरूर सुना होगा, देखा नहीं होगा। सिंह इज किंग में आप इसे देख सकते हैं।
एक मुर्गी को पकड़ने के पीछे पूरे गांव को नष्ट-ध्वस्त करने का दृश्य भी है सिंह इज किंग में है।
आस्ट्रेलिया जाने वाले यात्री गलत बोर्डिग पास लेकर इजिप्ट पहुंच सकते हैं और वहां के एयरपोर्ट अधिकारी उन यात्रियों को शहर घूमने के लिए एक दिन का वीसा भी दे देते हैं। सिंह इज किंग में यह मुमकिन है।
हैल्मेट की तरह घड़े को पहनकर पुजारी बगैर दूल्हा-दुल्हन को देखे शादी के मंत्रोच्चार करे और किसी और की शादी करा दे....यह सिंह इज किंग जैसी फिल्म में ही संभव है। सभी कह रहे हैं कि बुद्धि को ताक पर रख दें और सिंह इज किंग के नानसेंस ड्रामा का आनंद लें। लॉजिक भूल जाएं और अक्षय कुमार एवं कैटरीना कैफ के मैजिक पर ध्यान दें। भूतनी के गीत पर झूमें और हैप्पी सिंह एवं लकी सिंह के कारनामों पर हंसे। दाढ़ी बढ़ाए और पगड़ी बांधे विभिन्न साइज और शक्लों के सिंहों को पंजाब के साहनिवाल से आस्ट्रेलिया तक में देखें और गौर करें कि दिल का नेक हैप्पी सिंह सभी का हृदय परिवर्तन करता है।
सिंह इज किंग अनीस बज्मी की फिल्म है। उनकी पिछली कामयाब फिल्मों नो एंट्री और वेलकम की तरह ही सिंह इज किंग में भी कोई कहानी नहीं है। कह सकते हैं कि सिंह इज किंग से अनीस बज्मी की नानसेंस ट्रायलोजी पूरी होती है। कुछ तो हुआ। उनकी फिल्मों में कथानक नहीं होता। हंसी-मजाक के लम्हे होते हैं। भव्य और आकर्षक दृश्य होते हैं। सब कुछ महंगा, बड़ा और चमकदार होता है। केवल सीन ही लाउड नहीं होते। एक्टर भी लाउड बोलते हैं। संवाद अदायगी में एक सुर ऊंचा रहता है और पीछे से आ रही पा‌र्श्व ध्वनि (बैकग्राउंड स्कोर) भी हाई पिच पर रहता है। यह सब 21वीं सदी की कॉमेडी का फार्मूला है। अगर आप थोड़े पुराने मिजाज के दर्शक हैं तो सिंह इज किंग आपको फालतू फिल्म लग सकती है। वर्ना यही फैशन में है और समझा जा रहा है कि यही दर्शक चाहते हैं।
सिंह इज किंग में अक्षय कुमार और कैटरीना कैफ की हिट जोड़ी है। दोनों की केमिस्ट्री पर्दे पर भाती है। हंसी-मजाक के दृश्यों और गीतों में दोनों के जोश का तालमेल फूहड़ और साधारण प्रसंगों में भी हरकत ला देता हे। इसे कैमरे की खूबी कहें या बाकी तकनीक का कमाल.... हम कलाकारों की अदायगी पर ध्यान ही नहीं देते। छोटे स्कर्ट के लहराने, नायिका के ठुमके और हीरो के झटके एवं मुक्कों में ही हम उलझे रह जाते हैं। एक के बाद एक आ रहे शार्प कट के सीन हमें सोचने की फुर्सत भी नहीं देते कि वास्तव में पर्दे पर क्या हो रहा है? फिल्म पूरी हो जाती है और हम खाली दिमाग मल्टीप्लेक्स की सीढि़यां उतर रहे होते हैं। सिंह इज किंग इसी नए ट्रेंड की फिल्म है।
इस फिल्म में ओम पुरी, यशपाल शर्मा, किरण खेर, सोनू सूद जैसे उम्दा कलाकार भी हैं, लेकिन सभी किसी प्रहसन में शामिल विदूषक की तरह चंद लतीफों और जुमलों के लिए रखे गए हैं। उम्दा कलाकारों की अदायगी में एक सफाई तो रहती ही है। वे ऐसी फिल्मों में भी अपने काम के प्रति सीरियस रहते हैं।
इस फिल्म में कुछ ऐसा भी है, जो समझ में नहीं आता है। खास नाटकीय दृश्यों में बोले गए पंजाबी संवाद, गानों में प्रयोग किए गए अंग्रेजी शब्द, स्नूप डॉग की गायकी और.... और.... जाने दें, बुद्धि तो ताक पर छोड़ आए थे

मुख्य कलाकार : अक्षय कुमार, कैटरीना कैफ, नेहा धूपिया, जावेद जाफरी, सोनू सूद
निर्देशक : अनीस बज्मी
तकनीकी टीम : बैनर-स्टूडियो 18 एवं ब्लॉकबस्टर मूवी एंटरटेनर्स, निर्माता- विपुल शाह, कहानी- अनीस बज्मी, गीतकार- मयूर पुरी, संगीतकार- प्रीतम, छायांकन- बेन नॉट

Comments

admin said…
सभी फिल्मों का यही हाल है भइये। अगर फिल्म देखनी हो, तो दिमाग तो घर पर छोडना ही पडता है।
Ravi Shekhar said…
बचपन में जब हम होम वर्क नहीं करते थे - तब बहाना होता था -
नोट बुक घर छूट गई...
अब सिनेमा दर्शक भी यही बहाना मरने लगे अजय!
दिमाग घर रख दो
enjoy

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