फिल्‍म समीक्षा : दैट गर्ल इन येलो बूट्स

साहसी एडल्ट  फिल्म दैट  गर्ल...साहसी एडल्ट फिल्म

-अजय ब्रह्मात्मज

ब्रिटेन से आई रूथ को अपने पिता की तलाश है। उसे यकीन है कि उसके पिता मुंबई या पुणे में हैं। सिर्फ एक चिट्ठी के सहारे पिता की तलाश में भटकती रूथ सतह के नीचे की मुंबई का दर्शन करा जाती है। यह मुंबई गंदी, गलीज, भ्रष्ट और अनैतिक है। हिंदी फिल्मों में अपराध और अंडरव‌र्ल्ड की फिल्मों में भी हम मुंबई को इस रूप में नहीं देख पाए हैं। अगर आप कथित सभ्य और शालीन दर्शक हैं तो आप को उबकाई आ सकती है। गुस्सा आ सकता है अनुराग कश्यप पर ...आखिर अनुराग कश्यप क्या दिखाना और बताना चाहते हैं? 21वीं सदी के विद्रोही और अपारंपरिक फिल्मकार अनुराग कश्यप की फिल्में सचमुच फील बैड फिल्में हैं। इन्हें देखकर सुखद रोमांच नहीं होता। सिहरन होती है। व्यक्ति और समाज दोनों ही किस हद तक विकृत और भ्रष्ट हो गए हैं?

अनुराग कश्यप ने शिल्प और कथ्य दोनों स्तरों पर कुछ नया रचने की कोशिश की है। उन्हें कल्कि समेत अपने सभी कलाकारों का भरपूर सहयोग मिला है। फिल्म देखते समय भ्रम हो सकता है कि कहीं हम कोई स्टिंग ऑपरेशन तो नहीं देख रहे हैं। भाव और संबंध की विकृति संवेदनाओं को छलनी करती है। अपने किरदारों से निर्देशक का रूखा व्यवहार तकलीफ देता है। अनुराग कश्यप मुंबई की तंग गलियों और बाजारों में चल रहे सेक्स और अपराध के बीच रूथ की भावनात्मक खोज को नया अर्थ दे जाते हैं।

दैट गर्ल इन येलो बूट्स एडल्डट फिल्म है। इसके विषय और फिल्म में उसके निरुपण पर यहां अधिक चर्चा नहीं की जा सकती, क्योंकि पूरा कंटेंट एडल्ट है। बेहतर है कि एडल्ट दर्शक इसे स्वयं देखें और हिंदी सिनेमा के साहस से परिचित हों।

रेटिंग- *** तीन स्टार

Comments

Arvind Mishra said…
असमान्य परिवेश में मनुष्य के मूलस्थ भावों की विकृतियों पर फोकस होना ही चाहिए -यह एक आईना मानवता के वीभत्स चेहरे का
Arvind Mishra said…
देख के आया मगर बात कुछ जमी नहीं .... डिस्टार्शन/मनोविकृति निदेशक की निजी है या फिर समाज पर इसका आरोपण?
vivek martolia said…
अनुराग जी का " घोर समर्थक " रहा हूँ , उनकी पूर्व में निर्देशित " देव डी " हो या " गुलाल " हर फिल्म मानवीय पहलुओं को ज्यों का त्यों दर्शाती है , पर इस फिल्म के कंटेंट पे कुछ कह पाना आसान नहीं है , वो क्या कहना चाहते हैं , ये भी ढंग से समझ नहीं आया , " बैरंग लौटे इस बार पिक्चर हॉल से " उम्मीद है " गैंग ऑफ़ वसेपुर " से फिर भी

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