कैश

'धूम' और 'दस' जैसी फिल्मों की विधा में बनी 'कैश' मुख्य रूप से किशोर और युवा दर्शकों की फिल्म है। फिल्म में एक्शन के रोमांचकारी दृश्य है और गीतों का सुंदर फिल्मांकन है। वर्तमान दौर में ऐसी फिल्मों का आकर्षण है। खासकर शहरी युवा मन को ऐसी 'सिटएक्ट'(सिचुएशनल एक्शन) फिल्में पसंद आती हैं। गौर करें तो निर्देशक अनुभव सिन्हा ने एक्शन के दस-बारह दृश्य तैयार करने के बाद उनके इर्द-गिर्द किरदारों को जोड़ा और कहानी को चिपकाया है। इस फिल्म में आधा दर्जन से ज्यादा कलाकार हैं और सभी के लिए दो-चार दृश्य गढ़ने में ही फिल्म पूरी हो गई है। अफसोस यही है कि कोई भी किरदार उभर कर नहीं आता। पारंपरिक तरीके से देखें तो इस फिल्म में हीरो-हीरोइन नहीं हैं। एक दूसरी बात कि सारे ही निगेटिव किरदार हैं। हां, उनमें से कुछ नैतिकता का पालन करते हैं और एक है जो निजी लाभ के लिए किसी नैतिकता को नहीं मानता। सारे बुरे चरित्रों में अधिक बुरा होने के कारण हम उसे खलनायक मान सकते हैं। सिर्फ खल चरित्रों की फिल्में देश के दर्शक दिल से पसंद नहीं कर पाते। ऐसी फिल्में उन्हें सिर्फ नाच, गाने और एक्शन के कारण ही अच्छी लगती हैं। हां, अनुभव सिन्हा के इस प्रयोग की सराहना करनी होगी कि उन्होंने हिंसा वाले दृश्यों को एनीमेशन में दिखाकर छोटी उम्र के दर्शकों का भी खयाल रखा है। कहीं भी खून बहते या गोली चलते या तड़प कर मरते लोग नहीं दिखाई पड़ते। अनुभव सिन्हा म्यूजिक वीडियो के उस्ताद माने जाते हैं। 'कैश' के गीतों के फिल्मांकन में उनकी उस्तादी दिखती है। विशाल शेखर ने कुछ 'भूलने योग्य' धुनें दी हैं। अगर आप अजय देवगन के प्रशंसक हैं तो आपको अनुभव से ज्यादा अजय पर गुस्सा आएगा कि वे इस फिल्म में क्या कर रहे हैं? क्यों उन्होंने इस रोल को स्वीकार किया? दीया मिर्जा पहली बार ग्लैमरस दिखी हैं। एषा देओल और जाएद खान को अभी अभिनय का और प्रशिक्षण लेना चाहिए।

Comments

VIMAL VERMA said…
ओफ़्फ़ो, बड़ी अच्छी बात है कि आपने पहले ही हमें बचा लिया अच्छा है,आशा है आप ऐसी तैसी फ़िल्म देखकर हमारी सिरदर्दी कम करते रहेंगे.

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