खोया खोया चांद और सुधीर भाई -१


चवन्नी को सुधीर मिश्र की फिल्म 'खोया खोया चांद' का बेसब्री से इंतजार है.सुधीर मिश्र ने इस फिल्म में हिंदी सिनेमा के स्वर्ण काल के कई पहलुओं को आज के संदर्भ में चित्रित किया है.सुधीर मिश्र से चवन्नी की मुलाकातें होती रही हैं.चवन्नी सुधीर मिश्र को हिंदी फिल्मों की मुख्यधारा का विरोधी स्वर मानता रहा है.चवन्नी को हमेशा वे जुझारू और कभी-कभी झगड़ालू फिल्मकार के तौर पर दिखे.चवन्नी को याद है एक मुलाकात...मुंबई के एक पंचसितारा होटल में किसी फिल्मी कार्यक्रम का अायोजन था.होटल की लॉबी में ही चवन्नी उनसे टकरा गया.न जान! उस दिन सुधीर मिश्र किस मूड में थे...उन्होंने कॉफी के लिए ऑफर किया...सकुचाता हुआ चवन्नी उनके साथ लग गया...बात 'खोया खोया चांद' पर होने लगी.कुछ दिनों पहले ही चवन्नी गोरेगांव में फिल्मिस्तान स्टूडियो में लगे उनकी फिल्म के सेट पर गया था.सुधीर मिश्र हमेशा बड़े आवेश में बातें करते हैं...उनके भाव और स्वभाव से ऐसा लगता है कि आप को उनसे सहमत होना ही होगा.वे कंधे पर हाथ रख देते हैं...अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से को विस्फारित कर आप के मन में प्रश्न पैदा करते हैं और फिर मौका मिलते ही समझाने के अंदाज में अपनी बात आप के दिमाग में कॉपी कर देंगे.फिल्मों में आने को उत्सुक उत्साही युवक उनसे प्रभावित और सम्मोहित हुए बगैर नहीं रहते.

Comments

VIMAL VERMA said…
भाई चवन्नी इसी तरह सबसे हमारा परिचय कराता रहे, बताता रहे उनकी दुनिया के बारे में...और हम भी कुछ इस तरह से इन फ़िल्मियां लोगो के बारे में जानते रहें ये सारी ज़िम्मेदारी अब चवन्नी की है..

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

फिल्‍म समीक्षा : आई एम कलाम