भोजपुरी सिनेमा में बदलाव की आहट


-अजय ब्रह्मात्‍मज

भोजपुरी फिल्मों की गति और स्थिति के बारे में हम सभी जानते हैं। इसी साल फरवरी में स्वर्णिम भोजपुरी समारोह हुआ। इसमें पिछले पचास सालों के इतिहास की झलक देखते समय सभी ने ताजा स्थिति पर शर्मिदगी महसूस की। अपनी क्षमता और लोकप्रियता के बावजूद भोजपुरी सिनेमा फूहड़ता के मकड़जाल में फंसा हुआ है। अच्छी बात यह है कि भोजपुरी सिनेमा के दर्शकों का एक बड़ा वर्ग है। बुरी बात यह है कि भोजपुरी सिनेमा में अच्छी संवेदनशील फिल्में नहीं बन रही हैं। निर्माता और भोजपुरी के पॉपुलर स्टार जाने-अनजाने अपनी सीमाओं में चक्कर लगा रहे हैं। वे निश्चित मुनाफे से ही संतुष्ट हो जाते हैं। वे प्रयोग के लिए तैयार नहीं हैं और मान कर चल रहे हैं कि भोजपुरी सिनेमा के दर्शक स्वस्थ सिनेमा पसंद नहीं करेंगे।

भोजपुरी सिनेमा के निर्माताओं से हुई बातचीत और पॉपुलर स्टार्स की मानसिकता को अगर मैं गलत नहीं समझ रहा तो वे भोजपुरी सिनेमा में आए हालिया उभार के भटकाव को सही दिशा मान रहे हैं। मैंने पॉपुलर स्टार्स को कहते सुना है कि अगर हम सीरियस और स्वस्थ होंगे तो भोजपुरी का आम दर्शक हमें फेंक देगा। सौंदर्य की स्थूलता और दिखावे पर अधिक भरोसा करने के साथ भड़कीले अंदाज को ही पाला-पोसा जाता है। हर फिल्म में कुछ ऐसा जोड़ दिया जाता है, जो अश्लीलता की हदों को आसानी से छूता है। थोड़ी देर के लिए मैं मान सकता हूं कि अधिकांश दर्शक इस अश्लीलता के आनंद के लिए ही भोजपुरी फिल्में देखते हैं, लेकिन इसके साथ ही क्या भोजपुरी सिनेमा उन दर्शकों को नहीं खो रहा है, जो अश्लीलता की वजह से भोजपुरी फिल्में ही नहीं देखते।

पिछले दिनों रामधारी सिंह दिवाकर की कहानी मखान पोखर पर बनी फिल्म सैयां ड्राइवर बीवी खलासी रिलीज हुई। इस फिल्म का शीर्षक आम भोजपुरी फिल्म का एहसास देता है। मखान पोखर में रेणु के बाद के उत्तर बिहार के समाज की आंचलिक झलक है। इस कहानी पर आधारित फिल्म के लेखक निलय उपाध्याय और निर्देशक अंजनी कुमार ने कहानी के मूल भाव को सुरक्षित रखते हुए उसके शीर्षक में चालू फिल्मों का आकर्षण रखा। मुमकिन है उनके ऊपर निर्माता या भोजपुरी सिनेमा के बाजार का दबाव हो, लेकिन उन्होंने फिल्म के कथ्य से समझौता नहीं किया। खबर है कि इस फिल्म को भोजपुरी सिनेमा के आम दर्शक ने अधिक पसंद नहीं किया, लेकिन इसे कुछ नए दर्शक मिले। साथ ही भोजपुरी के उन नियमित दर्शकों को संतुष्टि हुई, जो बेहतरीन सिनेमा की आस में थे।

मैंने हाल ही में देसवा देखी। इस फिल्म के निर्देशक नितिन चंद्रा के वक्तव्यों और बयानों के बावजूद मैं फिल्म के प्रति आशंकित था। नितिन लगातार समकालीन भोजपुरी सिनेमा की भ‌र्त्सना कर रहे थे, लेकिन अपनी फिल्म के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बता रहे थे। देसवा को आरंभिक रूप में देख चुके कुछ मित्रों ने इसे पसंद नहीं किया था। अभी देसवा जिस रूप में प्रदर्शित हो रही है, वह अपनी अंतर्निहित सीमाओं के बावजूद आशान्वित करती है कि भोजपुरी में बेहतर सिनेमा की उम्मीद खत्म नहीं हुई है। देसवा भोजपुरी में बनी एक शिष्ट फिल्म है। साथ ही यह अपने निकट अतीत और वर्तमान की बातें करती हैं। भाषा और लोक परंपरा के नाम पर यह भदेस और फूहड़ नहीं हुई है, अभिनय के स्तर पर भी यह फिल्म अन्य भाषाओं की फिल्मों के समकक्ष है। निर्देशक नितिन चंद्रा और निर्माता नीतू चंद्रा के इस महत्वपूर्ण प्रयास की सराहना की जानी चाहिए। भोजपुरी सिनेमा के बाजार को उदारता दिखाते हुए देसवा को जगह देनी चाहिए। देसवा के प्रदर्शन की दिक्कतों को दूर कर उसे आम दर्शकों तक पहुंचने की राह सुगम करनी चाहिए। भोजपुरी में देसवा जैसी फिल्मों की भी जरूरत है

Comments

ShaShi Bhushan Sinha said…
"देसवा" भोजपुरी सिनेमा को एक नया आयाम देगी, यह मेरा ही नहीं बिहार के लोगों का विश्वास है. यह लोगों को बताएगी की भोजपुरी फ़िल्में केवल अश्लीलता और फुहड़पन का ही नाम ही नहीं है, बस कुछ लोगों के द्वारा दिया गया बस एक नाम है. देसवा ऐसे लोगों के गाल पे एक तमाचा होगी. यह वही भोजपुरी सिनेमा है जिसमे "नदिया के पार" जैसी फिल्में बनी है, जिसे बालीवुड ने रीमेक कर के "हम आपके हैं कौन" जैसी सफल फिल्म बनाई थी. "देसवा" पहली भोजपुरी फिल्म है जिसमे पद्मश्री श्रीमती शारदा सिन्हा, सोनू निगम, श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान जैसे गायकों ने अपनी आवाज़ दी है.
"देसवा" फिल्म की टीम को मेरी तरफ से बहुत बहुत बधाई..........
Shashi Bhushan Sinha said…
"देसवा" भोजपुरी सिनेमा को एक नया आयाम देगी, यह मेरा ही नहीं बिहार के लोगों का विश्वास है. यह लोगों को बताएगी की भोजपुरी फ़िल्में केवल अश्लीलता और फुहड़पन का ही नाम ही नहीं है, बस कुछ लोगों के द्वारा दिया गया बस एक नाम है. देसवा ऐसे लोगों के गाल पे एक तमाचा होगी. यह वही भोजपुरी सिनेमा है जिसमे "नदिया के पार" जैसी फिल्में बनी है, जिसे बालीवुड ने रीमेक कर के "हम आपके हैं कौन" जैसी सफल फिल्म बनाई थी. "देसवा" पहली भोजपुरी फिल्म है जिसमे पद्मश्री श्रीमती शारदा सिन्हा, सोनू निगम, श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान जैसे गायकों ने अपनी आवाज़ दी है.
"देसवा" फिल्म की टीम को मेरी तरफ से बहुत बहुत बधाई..........

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

फिल्‍म समीक्षा : आई एम कलाम