फेमिनिस्ट नहीं,इंडेपेंडेंट हूं मैं- बिपाशा बसु


-अजय ब्रह्मात्मज

प्यार की परिभाषा सिखाने के लिए बिपाशा बसु को कई दिनों तक रिहर्सल करना पड़ा और 'जोड़ी ब्रेकर्स' के इस गाने की शूटिंग के समय अपने खास कॉस्ट्यूम के कारण घंटों स्टूल पर बैठना पड़ा। यह गाना हॉट किस्म का है और इसमें बिपाशा के नाम का इस्तेमाल किया गया है। अपने नाम के गीत की अनुमति देने से पहले बिपाशा बसु बिदक गई थीं। उन्होंने के निर्देशक अश्विनी चौधरी के प्रस्ताव को सीधे ठुकरा दिया था। अश्विनी चौधरी भी जिद्द पर अड़े थे। उन्होंने गाना तैयार किया। गीत सुनाने के साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वे इसे किस तरह शूट करेंगे। अश्विनी चौधरी ने आखिरकार उन्हें राजी कर लिया। 'जोड़ी ब्रेकर्स' का यह गीत पॉपुलैरिटी चार्ट पर आ चुका है। बिपाशा बसु ने इस खास मुलाकात में इस गाने का का जिक्र सबसे पहले आ गया। हल्की मुस्कराहट के साथ बधाई स्वीकार करने के बाद उन्होंने उल्टा सवाल किया कि क्या अच्छा लगा?

हॉट बिपाशा पर इस हॉट गीत को उत्तेजक मुद्राओं में शूट किया गया है। पर्दे पर सेक्सुएलिटी को प्रदर्शित करना भी एक कला है, क्योंकि हल्की सी फिसलन या उत्तेजना से वह वल्गर हो सकता है... आप ने उसे वल्गर नहीं होने दिया। इस गाने के शूट के बारे में बताएं?

बिपाशा बताती हैं, 'कई आशंकाएं थीं मेरे मन में। पहले भी कई डायरेक्टर ऐसे आफर लेकर आए थे। वे मेरे नाम पर गीत बताना चाहते थे। वे कैरेक्टर को भी मेरा नाम देना चाहते रहे हैं। मैं हमेशा यही कहती रही कि मेरा असाधारण नाम है। मैं किसी को अपना नाम नहीं दूंगी। अश्विनी ने गाना बना कर दिखाया। मेरी टीम, फैमिली और फ्रेंड्स सभी को यह गाना अच्छा लगा तो मैंने उनकी खुशी के लिए हां कर दी। सभी ने ने समझाया कि अपने नाम के गीत पर खुद परफार्म करें तो अच्छा लगेगा।'

'जोड़ी ब्रेकर्स' अपेक्षाकृत नए निर्देशक अश्विनी चौधरी और नई प्रोडक्शन कंपनी प्रसार की फिल्म है। फिर भी बिपाशा की यह हिस्सेदारी...क्या इस फिल्म में कुछ खास...बिपाशा सवाल पूरा होने के पहले ही बोलना शुरू कर देती हैं, 'बहुत खास है। यह पहली फिल्म है, जिसे मैंने चेज किया है। इस फिल्म के साथ जुड़ी हुई हूं। मैं स्पष्ट कर दूं कि यह गाना रियल बिपाशा को उसके करीबियों के अलावा लोग नहीं जानते। मैं खुली किताब नहीं हूं, लेकिन इतनी जटिल और पर्दानशीं भी नहीं हूं। सरल सी है मेरी जिंदगी...मुझे समझना बहुत मुश्किल काम नहीं है। दो-चार बार मिलें तो आप भी एक धारणा बना सकते हैं।' बिपाशा का परिचय दे पाना या उनकी परिभाषा गढ़ पाना मुश्किल काम है। वह सरल होने के साथ इस मायने में विरल भी हैं कि वह स्वतंत्र स्वभाव की खुली लडक़ी हैं। फिल्मों और संबंधों को लेकर उन्होंने कभी कुछ छिपाने या ढकने की कोशिश नहीं की। पारदर्शी व्यक्तित्व रहा है उनका।

व्यक्तित्व के बारे में पूछने पर बिपाशा बसु स्पष्ट शब्दों में कहती हैं, 'यह झूठ है कि बड़े होने के बाद आप का व्यक्तित्व बनता है। मेरे खयाल में परवरिश, बचपन और अपने माता-पिता से संबंध की प्रगाढ़ता से व्यक्तित्व सजता और शेप लेता हैं। मैं अपने परिवार को अपने व्यक्तित्व का पूरा श्रेय देती हूं। मैं लडक़ी हूं,लेकिन मुझे हमेशा अपनी पसंद से कुछ भी करने की आजादी मिली। मेरे पापा आज भी मुझ पर भरोसा करते हैं, मेरे बारे में कुछ भी लिखा जाए, वे चिंतित नहीं होते। यह मेरा प्राइड है। मेरे पापा मेरी पीठ पर हाथ रखकर कहते हैं कि मेरी बेटी जिम्मेदार लडक़ी है, वह कभी गलत नहीं हो सकती। मैंने अपनी जिंदगी जिस तरह से जी, उसमें शर्मसार होने जैसी बात नहीं रही। मां किसी और मां की तरह थोड़ी चिंतित और परेशान हो जाती हैं...मेरे पापा तो ग्रेट हैं...मेरी तरफ इशारा कर के गर्व से कहते हैं - दैट्स माई डॉटर। मुझे चरित्र का बल अपने माता-पिता से मिला है। मां से मैंने 'लव योरसेल्फ' की फिलॉसफी ली। यह मेरे जीवन का दर्शन है - खुद से प्यार करो। अपने देश में लड़कियां और औरतें सबके के लिए सब कुछ करती हैं...अपनी परवाह नहीं करतीं। मां कहती हैं कि खुद की देखभाल नहीं करो, अपने पैशन और खुशी का खयाल न करो तो दुख खा जाएगा। व्यक्तित्व में कड़वाहट और उदासी आ जाएगी। खुद से प्यार करने पर संतुष्टि आती है और फिर हम ज्यादा दे भी पाते हैं..कर भी पाते हैं।'

बिपाशा के आत्मविश्वास को उनकी कामयाबी और आर्थिक स्वतंत्रता से जोड़ा जा सकता है। अगर बिपाशा फिल्मों में नहीं होतीं तो क्या तब भी ऐसी ही कंफीडेंट और अग्रेसिव रहतीं... वह सहमति में सिर हिलाती हैं... कहती हैं, ‘कंफीडेंस और अग्रेसन... यह बेसिक गुण है मेरी पर्सनैलिटी का। मैं जिंदगी के जिस क्षेत्र में भी रहती इतना तो कह ही सकती हूं कि कमा रही होती। किसी पर निर्भर नहीं रहती। मैं इंटेलिजेंट लडक़ी हूं। स्कूल में नंबर वन रही। किसी भी फील्ड में आगे ही रहती, क्योंकि एकाग्र भाव से अपना काम करती हूं। मैं बहुत महत्वाकांक्षी नहीं हूं। मुझे लगता है कि आज की लड़कियों को आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहिए। बचपन से ही मेरे दिमाग में यह ड्रिल कर दिया गया है कि जो भी करो, खुद का करो। आप किसी के साथ डेट पर जा रहे हो तो आप भी पे करो... ऐसा क्या कि हमेशा लडक़ा ही भुगतान करे? मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है कि कोई मुझ पर खर्च करे। मैं फेमिनिस्ट नहीं हूं, इंडेपेंडेट हूं। इसलिए मैं हमेशा खुश रहती हूं।'

बिपाशा बसु इन दिनों 'राज-3' की शूटिंग कर रही हैं। इमरान हाशमी के साथ बन रही इस फिल्म के निर्देशक विक्रम भट्ट हैं। यह फिल्म महेश भट्ट की देखरेख में बन रही है। इस इंटरव्यू के लिए बिपाशा ने 'राज-3' की शूटिंग से समय निकाला है। स्वाभाविक तौर पर 'राज-3' विक्रम भट्ट और महेश भट्ट सवालों में आ जाते हैं। सभी सवालों को समेटती हुई बिपाशा बताती हैं, 'भट्ट फैमिली मेरे लिए खास रहा है। मैंने 'अजनबी' से शुरुआत की थी, लेकिन 'राज' की शूटिंग के समय एक्टिंग को लेकर सीरियस हुई। महेश भट्ट और विक्रम भट्ट ने मुझे विश्वास दिया कि मैं एक्टिंग कर सकती हूं। फिर उनकी देखरेख में 'जिस्म' आई थी। उस फिल्म से मुझे दमदार सेक्सी इमेज मिली। अपने लिए सेक्सी शब्द सुनना मुझे अच्छा लगता है। 'राज-3' फिर से हॉरर जोनर की फिल्म है। हमलोग थ्रीडी में इसकी शूटिंग कर रहे हैं।'

इन दिनों चर्चा है बिपाशा बसु एक्सपोजर पर उतर आई हैं। अपनी फिल्मों में वह बिकनी पहन रही हैं और बोल्ड दृश्यों में अंगप्रदर्शन कर रही हैं। पूछने पर बिपाशा हंस कर सवाल को टाल देती हैं, 'क्या पूछ रहे हैं आप? मैंने तो 2006 में ही बिकनी पहनी थी। मेरी बोल्ड और सेक्सी इमेज नई नहीं है। मेरे पास ग्रेट बॉडी है ...उसे दिखाने में क्या दिक्कत है। लोग कुछ भी लिखते और बोलते रहते हैं। मैं बता दूं कि मेरी गैंडे की चमड़ी है। कोई करीबी कुछ बोलता है तो चोट लगती है। यह जॉब मुझे पसंद है और मैं करती रहूंगी। मैं आइकॉन या वैक्स स्टैच्यू नहीं बनना चाहती। जरूरी नहीं है कि लोग मुझे याद रखें। अभी एक्टिंग करनी है। लाइफ में सिंगल माइंडेड यही फोकस करना है। कोई डेविएशन नहीं है लाइफ में...एक रिलेशनशिप थी। वह खत्म हो गई तो फिलहाल सिर्फ फिल्में हैं।' रिलेशनशिप खत्म होने से भी बिपाशा के मन में कोई कड़वाहट नहीं है और न लडक़ों के प्रति गुस्सा ... वह जोर देकर कहती हैं, 'एक लडक़े से संबंध खत्म हुआ तो क्या सारे लडक़े खराब हो जाएंगे ... अरे नहीं। मर्द की जात बहुत इंटरेस्टिंग होती है। अभी खबर चलती है कि मैंने इस से दोस्ती कर ली, उसके साथ गई...प्‍लीज... मेरे बहुत सारे लडक़े मेरे दोस्त हैं और कुछ दोस्ती करना चाहते हैं। इसमें मेरा क्या दोष है? मैं बहुत फ्रेंडली मिजाज की लडक़ी हूं, इसलिए जल्दी दोस्ती हो जाती है। मैं एक सवाल पूछती हूं,एक अकेली लडक़ी एक अकेले लडक़े से मिली तो क्या मिलते ही वे ब्वॉयफ्रेंड -गर्लफ्रेंड हो जाएंगे ... कम ऑन थोड़ा तो कॉमन सेंस का इस्तेमाल करो ... रिलेशन बनने में वक्त लगता है। देखें सिंपल प्रोसेस है ... पहले मुलाकात होती है, फिर लडक़ा या लडक़ी एक-दूसरे को चेज करते हैं ... फिर साथ समय बिताते हैं। एक-दूसरे को समझते हैं ... फिर डेटिंग होती हे और फिर लव होता है। आप लोग तो रोज प्रेम करवा देते हैं और फिर वह टूट भी जाता है। थोड़ा तो सांस लेने दो मुझे ... मैं चालू रिलेशन में यकीन नहीं करती। 15 साल की उम्र से मैं अकेली नहीं रही। मैं फिर से लडक़ों से मिलूंगी, किसी से दोस्ती होगी। किसी से प्रेम होगा।'

बिपाशा बसु हैप्पी मूड में हैं। वह अपनी फिल्मों और जीवन से खुश हैं। अकेलापन उन्हें सता नहीं रहा है। कुछ नया और चैलेंजिंग करने का मौका दे रहा है। बिपाशा बसु फिल्म और रिलेशन में एक्सप्लोर करना चाहती हैं। वह अपने व्यक्तित्व के परतों से परिचित होना चाहती हैं।

Comments

amit karn said…
sir,

yahi thought level hai, behad safai se poochhe gaye bold sawal, right questioning, kaafi kuch seekhne ko hai. anurag kashyap's interview bhi main padh raha hun. these articles r lyk classes to how a film journalist should prepare himself. khushmizzaz khalnayak mein rishi kapoor ka characterization padh ker kaafi maza aaya. khaskar interviews ke dauraan unka badi masoomiyat se taareef waale msg ka rply karna.

it's a wholsome pack of entertainment and learning.

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