दरअसल : गलत भडक़े ऋषि कपूर

दरअसल ़ ़ ़
गलत भडक़े ऋषि कपूर
-अजय ब्रह्मात्मज

पिछले दिनों अंगे्रजी अखबारों में ऋषि कपूर के एक बयान का खूब उछाला गया। उस बयान में उन्होंन युवा अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दिकी की किसी टिप्पणी पर आक्रामक प्रतिक्रिया व्यक्त की। इस प्रतिक्रिया में उन्होंने उम्र और अनुभव का लिहाज नहीं रखा। उन्होंने नवाज की औकात का सवाल उठाया और फिर अहंकार में नवाज के बाप-दादा को भी समेट लिया। ऊिल्म इंडस्ट्री के कथित पहले परिवार के ऋषि कपूर की इस प्रतिक्रिया को किसी भी सूरत मेंजायज नहीं ठहराया जा सकता। दरअसल ़ ़ ़फिल्म इंडस्ट्री के आउटसाइडर पर इनसाइडर ऐसे ही भडक़ते हैं। जब भी कोई नया अभिनेता या अभिनेत्री मिले मौके को अपनी प्रतिभा से उल्लेखनीय बना देता है तो पहले से पॉपुलर और जम-जमाये इनसाइडर हस्तियों का कुर्सी हिलने लगती है। वे स्वागत और तारफ करते हैं,लेकिन उसी क्षण से उक्त प्रतिभा को पृष्ठभूमि में धकेलने की कवायद आरंभ हो जाती है। बीस सालों की फिल्म पत्रकारिता और फिल्मी हस्तियों से मेल-मुलाकात के अनुभवों पर मैं यह बात कह रहा हूं।
    नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने अपने किसी इंटरव्यू में हिंदी फिल्मों मेंप्रचलित घिसे-पिटे रोमांस और रोमांटिक हीरो के बारे में कहा था कि इनमें बदलाव आना चाहिए। पेड़ों के इर्द-गिर्द नाचना ही रोमांस नहीं है। नवाज के इस ऑब्जर्वेशन से अनेक की सहमति होगी और कुछ असहमत भी होंगी। एक्टिंग के एक डिफरेंट स्कूल से आने और उसी के दम पर एक दशक से अधिक समय लगा कर अपनी पहचान बना चुके नवाज को अपनी राय रखने का पूरा अधिकार है। उन्होंने इसी अधिकार का उपयोग किया। ऋषि कपूर को नवाज की टिप्पणी नागवार गुजरी। उन्होंने पहला मौका मिलते ही वार किया। उन्होंने साफ कहा कि उनके बाप-दादा भी नहीं कर सकते ऐसा काम। वे खुद तो क्या करेंगे ़ ़ ़ तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसा कहने की। तुम्हारी औकात क्या है? ़ ़ ़आप ने अपनी जिंदगी में वह कभी किया नहीं है और आप को कभी मौका नहीं मिलेगा। आप कर भी नहीं सकते। आप की इमेज नहीं है। आप में वह टैलेंट नहीं है। ऋषि कपूर की इस टिप्पणी में औकात और बाप-दादा का जिक्र अशोभनीय और अनुचित है। ऐसे कठोर और असभ्य शब्दों के इस्तेमाल के लिए ऋषि कपूर की आलोचना होनी चाहिए।
    आलोचना तो दूर ़ ़ क़ोई उन्हें गलत भी नहीं ठहराएगा। नवाज ने संयम से काम लिया। उन्होंने ऋषि कपूर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मेरी बात को सही संदर्भ में नहीं समझा गया। प्यार जाहिर करने के सौ तरीके हो सकते हैं और उन्हें एक्सप्लोर करना चाहिए। मेरे बारे में वे ऐसा नहीं कह सकते कि मैं पर्दे पर रोमांस नहीं कर सकता। मैं कर सकता हूं,लेकिन उसे अलग तरीके से करूंगा। ऋषिजी अगर मुझ औसत अभिनेता मानते हैं तो यह मेरे लिए तारीफ है। मैं तो औसत से भी कमतर अभिनेता हूं। नवाज अपनी प्रतिक्रिया में शिष्ट रहे। उन्होंने ऋषि कपूर से असहमति जाहिर की,लेकिन उनका अनादर नहीं किया। हम सभी जानते हैं कि सालों की मेहनत और लगन की बाद नवाज ने पहचान हासिल की है। दिक्कत यह है कि अभी भी उनके प्रति फिल्म इंडस्ट,ी का रवैया पूरी तरह से सकारात्मक नहीं हुआ है। अकेले नवाज नहीं हैं। फिल्म इंडस्ट्री के सभी आउटसाइडर को ऐसी छींटाकशी सहनी पड़ती है। उन्हें हमेश उनकी औकात बतायी जाती है। हतोत्साहित किया जाता है। उनके गिरने का इंतजार किया जाता है। अगर वे सफलता की सीढिय़ां चढ़ते जाएं तो भी यही कहा जाता रहेगा कि देखना इस बार तो वह गिरेगा ही।
    इतना ही नहीं सफल होने के बाद अगर आउटसाइडर अभिनेता ने पारिश्रमिक बढ़ा दिया तो टीका-टिप्पणियां होने लगती हैं। इंडस्ट्री से आया कोई पॉपुलर स्टार ऐसा करे तो इसे उसका हक समझा जाता है। अगर दीपिका पादुकोण यर इरफान ज्यादा पैसों की मांग करें तो यही कहा जाता है कि कामयाबी से उनका दिमाग फिर गया है। बाहर से फिल्म इंडस्ट्री में बराबरी दिखती है और उसका दावा भी किया जाता है। यथार्थ में ऐसा है नहीं।


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