राज शेखर रिटर्न्स


-अजय ब्रह्मात्मज
    चार साल पहले तनु वेड्स मनु आई थी। इस फिल्म की अनेक खूबियों में एक खूबी इसके गीत थे। इन गीतों को राज शेखर ने लिखा था। संयोग ऐसा ही कि अभी सक्रिय ज्यादातर गीतकार गीत लिखने के उद्देश्य से फिल्मों में नहीं आए हैं। स्वानंद किरकिरे,अमिताभ भट्टाचार्य,वरूण ग्रोवर और राज शेखर के बारे में यह बात सत्य है। इसी वजह से इनके गीतों में हिंदी फिल्मी गीतों की प्रचलित शब्दावली नहीं मिलती। एक अमिताभ भट्टाचार्य को छोड़ दे तो ये गीतकार कम फिल्में करते हैं। राज शेखर को ही लें। तनु वेड्स मनु के बाद अब वे कायदे से रिटर्न हो रहे हैं। बीच में उनके छिटपुट गान कुछ फिल्मों में आए,लेकिन वे याद नहीं रहे। तनु वेड्स मनु रिटर्न्स के गाने फिर से गूंज रहे हैं। राज शेखर इस रिटर्न की वजह तो बताते हैं,लेकिन वे खुद भी नहीं समझ पा रहे हैं कि उन्होंने बीच में दूसरी फिल्में क्यों नहीं की?
    राज शेखर बताते हैं,‘मैं निष्क्रिय नहीं रहा। दरमियानी दौर में मैं दो-तीन फिल्मों में गाने लिखे,लेकिन वे नोटिस नहीं हो सके। इस बीच एक स्क्रिप्ट पर काम कर रहा हूं। उसमें काफी रिसर्च है। वह पालिटिकल फिल्म है। इसके अलावा मुझे लग रहा था कि मुझे किसी बड़े बैनर से बुलावा आएगा। मैं मुगालते में रहा। आप देखें कि तनु वेड्स मनु में तो मैं असिस्टैंट था। मुझ से डमी गीत लिखने के लिए कहा गया था। आनंद राय को वे गीत पसंद आ गए तो मैं गीतकार बन गया। अब सोचता हूं तो लगता है कि मैं तैयारी नहीं कर पाया था। इस बार मैं तैयार हूं।’ राज शेखर फिल्म इंडस्ट्री के तौर-तरीकों से अपरिचित थे,इसलिए चर्चाओं और उल्लेखों के बावजूद उन्हें फिल्मों के खास ऑफर नहीं मिले। राज शेखर ने स्वयं भी अप्रोच नहीं किया।
    फिर आनंद रा की ‘रांझणा’ आई। इस फिल्म के गीत इरशाद कामिल ने लिखे थे। निस्संदेह आनंद राय के इस फैसले से राज शेखर दुखी हुए। वे मान कर चल रहे थे कि आनंद राय की हर फिल्म उन्हें मिलेगी। वे बताते हैं,‘बाद में समझ में आया कि हर फिल्म की जरूरत अलग होती है। डायरेक्टर अपनी फिल्म और हमारी क्षमताओं को समझता है। आनंद राय से मेरा संबंध बना रहा। यहां तक कि ‘रांझणा’ के गीतों की प्रक्रिया का मैं गवाह रहा। फिर ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ की योजना बनी तो आनंद राय ने जिम्मेदारी दी।’
    राज शेखर ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ के गीतों के बारे में पूछने पर कहते हैं,‘इस बार गीतों का स्वर बदला हुआ है। ‘मूव ऑन’ के उदाहरण से कहूं तो विछोह के लिए कोई दर्द भरा नगमा होता। यह आनंद राय की सोच और पहल है कि उन्होंने ऐसे गीत को रखा।  पिछली फिल्म में एक भी अंग्रेजी शब्द नहीं था। इस बार तो एक गाना ही अंग्रेजी में है। इस बार जमीन अलग है? मैं कह सकता हूं कि इस बार किरदारों को ज्यादा बेहतर तरीके से समझ कर मैंने गीत लिखे हैं। गीता किरदारों की मनोदशा और मिजाज के हैं। तनु जैसी है,वैसे ही गाने हैं। इस बार कुल नौ गाने हैं। आठ गीत मैंने लिखे हैं। ‘बन्नो’ गीत मेरा नहीं है।’
    गीतों की जरूरत और गीतकारों पर बढ़ते दबाव को समझने पर भी राज शेखर स्पष्ट हैं कि मुझे उसमें पड़ना ही नहीं है। वे दोटूक शब्दों में कहते हैं,‘मैं गानों गणित में नहीं पड़ना चाहता।  हिट गानों का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। अगर यह मालूम रहता तो किसी जमाने के सफल गीतकार और संगीतकार कभी असफल ही नहीं होते। सच कहूं तो मैं किसी रेस में नहीं हूं।’

Comments

Unknown said…
He has a point, we spend more time on us that what we are, what we can do..
dazzling point sir.. We must learn by your word raj sir....
Unknown said…
बहुत रोचक
Unknown said…
सचमुच राजशेखर द्वारा ि‍लखे गीतों में अलग शब्‍दावली है

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