बी आर चोपड़ा-प्रकाश रे
प्रकाश रे बी आर चोपड़ा पर एक सिरीज लिख रहे हैं। बम्बईया सिनेमा को देश के सांस्कृतिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान दिलाने और उसे जटिल उद्योग के रूप में विकसित करने वाले फ़िल्मकारों में बी आर चोपड़ा का स्थान अन्यतम है. आज़ादी के बाद के हिन्दुस्तानी सिनेमा का इतिहास इस फ़िल्मकार के बिना नहीं लिखा जा सकता. सिनेमा में सात दशकों तक सक्रिय रहनेवाले बलदेव राज चोपड़ा का जन्म पंजाब के जालंधर में 20 अप्रैल 1914 को हुआ था. लाहौर विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर करने के बाद वे पत्रकारिता से जुड़ गए और वेराईटीज़ (दिल्ली), मूवीज़ (कलकत्ता), सिने एडवांस (कराची) जैसी फ़िल्म पत्रिकाओं में लेख लिखने लगे. 1937 में उन्होंने लाहौर से निकलने वाली मासिक पत्रिका सिने हेराल्ड के सम्पादन का काम संभाला और 1947 में लाहौर छोड़ने तक उसके संपादक रहे. इसी दौरान श्री चोपड़ा की लिखी कई लघु कथाएँ भी प्रकाशित हुईं. पत्रकारिता के साथ वे लाहौर के फ़िल्म उद्योग से भी जुड़े हुए थे. फ़िल्म-निर्माण में सक्रिय पंचोली समूह के साथ काम करने के अलावा उन्होंने पंजाबी फ़िल्म कम्पनी नॉर्दर्न इन्डियन फ़िल्म के प्रचार अधिकार