लोग मुझे भूल जायेंगे,बाबूजी को याद रखेंगे,क्योंकि उन्होंने साहित्य रचा है -अमिताभ बच्चन
अमिताभ बच्चन से उनके पिता श्री हरिवंश राय बच्चन के बारे में यह बातचीत इस मायने में विशिष्ट है कि अमित जी ज्यादातर फिल्मों के बारे में बात करते हैं,क्योंकि उनसे वही पूछा जाता है.मैंने उनके पिता जी के जन्मदिन २७ नवम्बर से एक दिन यह पहले यह बातचीत की थी। यकीन करे पहली बार अमिताभ बच्चन को बगैर कवच के देखा था.ग्लैमर की दुनिया एक आवरण रच देती है और हमारे सितारे सार्वजनिक जीवन में उस आवरण को लेकर चलते हैं.आप इस बातचीत का आनंद लें... -पिता जी की स्मृतियों को संजोने की दिशा में क्या सोचा रहे हैं? हम तो बहुत कुछ करना चाहते हैं। बहुत से कार्यक्रमों की योजनाएं हैं। बहुत से लोगों से मुलाकात भी की है मैंने। हम चाहते हैं कि एक ऐसी संस्था खुले जहां पर लोग रिसर्च कर सकें। यह संस्था दिल्ली में हो या उत्तर प्रदेश में हो। हमलोग उम्मीद करते हैं कि आने वाले वर्षो में इसे सबके सामने प्रस्तुत कर सकेंगे। आप उनके साथ कवि सम्मेलनों में जाते थे। आप ने उनके प्रति श्रोताओं के उत्साह को करीब से देखा है। आज आप स्वयं लोकप्रिय अभिनेता हैं। आप के प्रति दर्शकों का उत्साह देखते ही बनता है। दोनों संदर्भो के उत्साहों क
Comments
है(सम्भोग) और जब मै किसी से मिलता हू तो हैरान होता हू क्योकि वे बात करती है ईस्वर की...आत्मा की...परमात्मा की... वैश्या भी उसी समाज का हिस्सा है वैसे जैसे एक बड़े घर में कही कोने में
तालाबंद कोई कमरा जिसमे जाने आने का रास्ता कोई चोर खिडकी है......फिल्म में sunny leoan को क्यों लिया गया या फिल्म में किस विषय को उठाया गया है ये मुझे नही पता पर ये एक तरह से ठीक
है की कमरे का ताला खोला जाये कमरे का जुडाव घर से हो ताकि कुछ समय बाद आने वाली पीढियो के लिए ये सवाल ही ना बचे की उस कमरे में ताला क्यों लगा है...मतलब आखिरकार वैश्या का जन्म हुआ
कैसे ??? मैंने एक लेख कुछ दिनों पहले पढ़ा की सबसे पहली बार भारतीय सिनेमा में kiss scene तबू ने किया था तब उस फिल्म को अश्लील का दर्जा दिया गया था और आज क्या हालत है की ये एक
सामान्य सी बात बन गयी है हमारे सिनेमा और आम जगत के लिए.....समाज को आप जीतना छूट देंगे वो उतना ही सुन्दर और अच्छा बनेगा ना की खराब मै तो निर्माता और निर्देशक की हिम्मत की प्रसंसा
करूँगा की उन्होंने इतना साहसी कदम उठाया