४६ ३६ ४६

इन अंकों की बात चवन्नी बाद में करेगा।
पहले इन अंकों का रिश्ता जिस से है,उसके बारे में सुनें.बीते ज़माने के इस फिल्म स्टार को सबसे पहले सुपर स्टार का दर्जा मिला था.इस सुपर स्टार की लोकप्रियता का ऐसा आलम था कि लडकियां उनकी कार को होंठों से चूम कर रंग देती थीं.वे परदे पर पलकें झाप्काते थे और इधर सिनामघरों में आहें सुने पड़ती थिनेक साल में उनकी आठ फ़िल्में हुई थीं और उनहोंने सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किये थे.अपनी उसी लोकप्रियता के दिनों में उनहोंने रातोंरात स्टार बनी एक नयी अभ्नेत्री से शादी कर सभी को चौंका दिया था।
चवन्नी को lag रह है कि आप उस सत्र को पहचान गए हैं.आप नाम बताएं,इसके पहले चवन्नी ही बता देना चाहता है कि सुपर स्टार राजेश खन्ना की बात चल रही है।
चवन्नी अब जो बताने जा रह है,इस से आपका मन खट्टा हो सकता है.लेकिन यह सच है.पिछले शनिवार १३ अक्टूबर को राजेश खन्ना एक फिल्मी पार्टी में गए थे.रजा बुंदेला की नै फिल्म का मुहूर्त था.राजेश खन्ना को ही क्लैप देना था.वहाँ राज बब्बर और शत्रुघ्न सिन्हा भी आये थे.किस्सा यूं हुआ कि राजेश खन्ना उर्फ़ काका अन्दर हॉल में जाकर बैठ गए.मज़बूरी और आदत के शिकार चैनल वालों ने उन्हें घेर लिया.वे टालू अंदाज़ में जवाब देते रहे.इसी बीच एक महिला पत्रकार आयी.थोड़ी नयी लग रही थी.उस ने काका से उनका नो माँगा.मोबाइल नंबर देने के बाद काका ने खुद ही कह कि मेरा लैंड लें नंबर भी ले लो.उनहोंने तेजी से एक नंबर बताया,जिसके आख़िरी छः नंबर ४६ ३६ ४६ थे.यहाँ तक कोई खास बात नही थी.महिला ने पलटकर फिर से नाबर पूछा.वह नोट नहीं कर पायी थी.काका को ना जाने क्या सूझा.उनहोंने कह कि इटालियन औरतों को देखा है.४६ ३६ ४६.महिला पत्रकार इतालियन औरतों का संदर्भ नहीं समझ पायी.उस ने फिर से पूछा ... क्या? काका की आंखों में हवस तैर रही थी. उनहोंने इस बार इशारे से अपने हाथों को सीने के आगे के बाँध कर कहा ४६,फिर क़मर पर हाथ ले गए और कहा ३६...इसके बाद बैठे-बैठे ही उनहोंने अपने नितम्ब पर हाथ मारते हुए कहा ४६ .कम उम्र महिला पत्रकार सुपर स्टार की हरकत और बातों से झेंप कर भाग गयी।
सुपर स्टार राजेश खन्ना के चहरे पर कोई झेंप शर्म नही थी.अब आप ही बताएं कि इसे क्या कहेंगे?एक सुपर स्टार का पतन या कुछ और.संयोग अच्छा था काका के लिए कि किसी चैनल वाले ने उन्हें यह सब कहते शूट नहीं किया,अन्यथा बग़ैर खुफिया कैमरे के ही स्टिंग ऑपरेशन हो जाता.

Comments

Anonymous said…
शीर्षक 'अंक' नहीं 'सांख्यिकी' है ।
Unknown said…
शुक्रिया सर!
cainal vaale kya riporta karenge jo aap kara dete hain. yah aur kuchh nahin apane kko laaima laaite men laane ka eka tarika hai.
बुरा न मानीये परन्तु मंजुनाथ पेंदाकुर इस प्रकार के पत्रकारिता का विरोध करते हुए तर्क करते हैं कि वक्रोक्त, गपशाप से दर्शनरति को बढावा मिलता है. मैं मानता हूँ कि ऐसी खबरें हमारे समाज मे प्रचलित नारी अधिकारवादी के मुद्दों का एक उदाहरण है. परंतु हम काका के हरकतों को पढ़कर मज़ा लूटने के अलावा और कुछ नहीं कर रहे. ना ही हम उन दूर गुजरे घटना को बदल सकते हैं ना ही हम संरचनात्मक स्तर पर नारी के हालातों में कुछ बदलाव ला सकते हैं. आपको शायद लगे कि मैं दोषदर्षी (सिनिकल) हूँ. काका इस प्रकार का बर्ताव सिर्फ़ इसलिए कर पाया क्योंके उसे यह लगता है कि वह ऐसा करके बच निकल सकता है. ऐसा बचकाना बर्ताव तब बंद होगा जब समाज अपने पितृतंत्र और मरदाने संस्कृति को नापसंद करेगा. तब तक महिलाओं को समाज में कई रूपकालंकार काकाओं को झेलना पडेगा.

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