व्यंग्य निर्देशक सुभाष कपूर


-अजय ब्रह्मात्मज
    बाहर से आए निर्देशक के लिए यह बड़ी छलांग है। खबर है कि सुभाष कपूर विधू विनोद चोपड़ा और राज कुमार हिरानी की ‘मुन्नाभाई  ... ’ सीरिज की अगली कड़ी का निर्देशन करेंगे। पिछले हफ्ते आई इस खबर ने सभी को चौंका दिया। ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ और ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ के बाद ‘मुन्नाभाई चले अमेरिका’ की घोषणा हो चुकी थी। उसके फोटो शूट भी जारी कर दिए गए थे। राजकुमार हिरानी उस फिल्म को शुरू नहीं कर सके। स्क्रिप्ट नहीं होने से फिल्म अटकी रह गई। इस बीच राजकुमार हिरानी ने ‘3 इडियट’ पूरी कर ली। उसकी अपार और रिकार्ड सफलता के बाद वे फिर से आमिर खान के साथ ‘पीके’ बनाने में जुट गए हैं। इसी दरम्यान सुभाष कपूर को ‘मुन्नाभाई ....’ सीरिज सौंपने की खबर आ गई।
    सुभाष कपूर और विधु विनोद चोपड़ा के नजदीकी सूत्रों की मानें तो यह फैसला अचानक नहीं हुआ है। राजकुमार हिरानी की व्यस्तता को देखते हुए यह जरूरी फैसला लेना ही था। ‘मुन्नाभाई ...’ सीरिज में दो फिल्में कर लेने के बाद राजकुमार हिरानी अन्यमनस्क से थे। शायद वे इस सीरिज से ऊब गए हों या नए विषयों का हिलोर उन्हें बहा ले जाता हो। ‘मुन्नाभाई ...’ के मुन्ना और सर्किट की जोड़ी को दर्शक नई स्थितियों और परिवेश में देखने के लिए लालायित हैं। संजय दत्त के पास अभी कोई बेहतर फिल्म भी नहीं है। ‘जिला गाजियाबाद’ जैसी फिल्म में हम ने संजय दत्त और अरशद वारसी को एक साथ देखा, लेकिन उनके बीच मुन्ना-सर्किट की केमिस्ट्री नहीं दिखी। स्पष्ट है कि दोनों ‘मुन्नाभाई ...’ सीरिज में ही जमते हैं।
    सुभाष कपूर के चुने जाने की बात कर रहा था। विधु विनोद चोपड़ा और राजकुमार हिरानी दोनों चाहते थे कि फिल्म के निर्देशन की जिम्मेदारी किसी को दी जाए। इस सिलसिले में वे पहले हबीब फैजल से मिले। उन्हें लगा था कि युवा निर्देशक ‘मुन्नाभाई ...’ सीरिज के साथ न्याय कर सकेंगे। बातचीत और विमर्श में उनसे संतुष्ट नहीं होने पर फिर ‘फरारी की सवारी’ के निर्देशक राजेश मापुसकर के बारे में सोचा गया। राजेश मापुसकर पहले राजकुमार हिरानी के सहयोगी थे और उन्होंने विधु विनोद चोपड़ा के लिए ही ‘फरारी की सवारी’ बनाई थी। उन पर भी सहमति नहीं बनी। तभी फिल्म पत्रकार और समीक्षक अनुपमा चोपड़ा ने सुभाष कपूर का नाम सुझाया। अनुपमा चोपड़ा के पति हैं विधु विनोद चोपड़ा। अनुपमा को ‘फंस गया रे ओबामा’ अच्छी लगी थी। उन्होंने यह भी बताया कि सुभाष कपूर की ‘जॉली एलएलबी’ आ रही है। अनुपमा के सुझाव पर चोपड़ा और हिरानी ने पहले ‘फंस गया रे ओबामा’ और फिर अप्रदर्शित ‘जॉली एलएलबी’ देखी। उन्हें सुभाष कपूर की शैली और व्यंग्य की धार पसंद आई। उन्होंने तय कर लिया कि सुभाष कपूर को ही लेंगे।
    सुभाष कपूर ने हिंदी से एमए किया है। हिंदी से एम ए का विशेष उल्लेख इसलिए कर रहा हूं कि आम तौर पर हिंदी पढ़े व्यक्ति की एक रूढि़वादी और पिछड़ी छवि है। माना जाता है कि जो विद्यार्थी किसी और विषय में प्रवीण नहीं होते वे मजबूरी में हिंदी और मराठी चुनते हैं। सुभाष कपूर ने पढ़ाई के दिनों में छात्र आंदोलन और थिएटर गतिविधियों में हिस्सा लिया। वे वामपंथी रुझान के व्यक्ति हैं। टीवी और प्रिंट की पत्रकारिता करने के बाद उन्होंने मुंबई का रुख किया। इरादा था कि हिंदी में फिल्में बनाएंगे। उनकी पहली फिल्म ‘से सलाम इंडिया’ क्रिकेट के विषय पर थी। वह आई और चली गई, फिर भी इंडस्ट्री में उन्हें नोटिस किया गया। अगली फिल्म ‘फंस गया रे ओबामा’ थी। इस फिल्म के लिए कलाकार जुटाने में सुभाष कपूर को भारी मशक्कत करनी पड़ी। संजय मिश्र को केंद्रीय भूमिका में लेकर फिल्म बनी। यह फिल्म चली और खूब पसंद की गई। अगली फिल्म ‘जॉली एलएलबी’ 15 मार्च को रिलीज हो रही है। यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक असफल वकील जॉली की कहानी है। समाज और सत्ता पर एक साथ चोट करती सुभाष कपूर की फिल्में सीधे तौर पर कोई उद्घोष या नारा नहीं लगातीं। उनकी फिल्मों में आम जीवन के प्रसंगों का मनोरंजन रहता है। हमारे आसपास के किरदार हमारी ही भाषा में चुटीली बातें करते हैं और हमें घायल कर देते हैं।
    उम्मीद है कि सुभाष कपूर अपनी धार बनाए रखेंगे और ‘मुन्नाभाई  ...’ सीरिज को मनोरंजक मजबूती के सथ आगे बढ़ाएंगे।

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