फिल्‍म समीक्षा : द एक्‍सपोज

सातवें दशक की चकाचौंध 
-अजय ब्रह्मात्‍मज 
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का सातवां दशक। अभी एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन का पदार्पण नहीं हुआ था। फिल्म स्टार, फिल्में, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर का अलग ढर्रा था। चमकदार और रंगीन होने के साथ हिंदी सिनेमा में चकाचौंध अभी आई ही थी। हीरोइनें साड़ी छोड़कर विदेशी परिधानों में दिखने लगी थीं। ऐसे ही परिवेश की कहानी है 'द एक्सपोज'। हिमेश रेशमिया उर्फ रवि कुमार को केंद्र में रख कर बनाई गई इस फिल्म के सारे किरदार सप्तर्षि की तरह हैं। ध्रुवतारा या स्टार एक ही हैं हिमेश रेशमिया।
लेखक और निर्देशक का पूरा ध्यान हिमेश रेशमिया पर टिका है। उनकी वेशभूषा, चाल-ढाल, संवाद अदायगी, लुक और अंदाज को हर तरह से सजाने-संवारने की सफल कोशिश की गई है। फिल्म की दोनों हीरोइनों जारा और चांदनी की खूबसूरत और मादक अंदाज में पेश किया गया है। चूंकि माहौल ही फिल्म इंडस्ट्री की रौनक का है, इसलिए वे सभी फिल्म की कहानी में उपयुक्त लगते हैं। फिल्म में निर्माता-निर्देशक के तौर पर आए किरदारों को ठोस चरित्र दिए गए हैं। इनके अलावा बाकी किरदारों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है, इसलिए वे फिल्म में होते हुए भी फिल्म का हिस्सा नहीं लगते। इरफान और आदिल हुसैन बेहतर कलाकार हैं। वे अपने परफॉर्मेस से प्रभावित करते हैं, किंतु वे फिल्म के बाकी कलाकारों से अलग-थलग हैं। हनी सिंह अपनी लोकप्रियता की वजह से अवश्य ध्यान खींचते हैं, अन्यथा उनका किरदार बेढब है।
अनंत नारायण महादेवन ने हिमेश रेशमिया के सौजन्य और सहयोग से सातवें दशक की पृष्ठभूमि में एक मर्डर मिस्ट्री बुनी है, जो म्यूजिकल भी है। म्यूजिक की दो पॉपुलर प्रतिभाएं (हिमेश रेशमिया और हनी सिंह) इस फिल्म से जुड़ी हैं। संगीत मधुर और कर्णप्रिय है। उनका फिल्मांकन रोचक है। संगीत आज का है, लेकिन ध्वनियों में सातवें दशक की अनुगूंज है। लेखक-निर्देशक मर्डर मिस्ट्री को अंत तक बनाए रखने में सफल रहे हैं। फिल्म इंडस्ट्री में अवॉर्ड नाइट की पार्टी में एक हीरोइन की हत्या हो जाती है। शक के दायरे में सभी हैं, लेकिन असली हत्यारा कौन है? क्या कानून सही हत्यारे तक पहुंच सका?
'द एक्सपोज' में फिल्म स्टार और इंडस्ट्री की ईष्र्या, चालबाजी, साजिश, इगो, निराशा, प्रेम और बदले की भावना को लेखक-निर्देशक ने फिल्म की कहानी में घटनाओं के जरिए पिरोया है। कथा विस्तार नहीं होने से फिल्म की रोचकता गहरी नहीं हो पाती। ईष्र्या और हत्या का कमजोर आधार फिल्म के रहस्य और प्रभाव को कम करता है। हालांकि निर्देशक और मुख्य कलाकारों ने अपने अंदाज और अभिनय से रहस्य गढ़ने और बढ़ाने की पूरी कोशिश की है।
यह फिल्म हिमेश रेशमिया की है। उनकी मेहनत, लगन और प्रतिभा नजर आती है। वे अपनी सीमाओं का विस्तार करते हैं। यों रवि कुमार में रजनीकांत, शत्रुघ्न सिन्हा और राजकुमार की छवियों की मिश्रित झलक है।उनके अलावा केवल अनंत नारायण महादेवन अभिभूत करते हैं। हीराइनों के तौर पर आई दोनों लड़कियां निराश करती हैं। इस फिल्म में इरफान और आदिल हुसैन पैबंद की तरह नजर आते हैं।
अवधि-113 मिनट
** 1/2 ढाई स्‍टार 

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