आजाद सोच पर फुलस्टॉप के विरुद्ध - महेश भट्ट
महेश भट्ट (महेश भट्ट का यह जरूरी लेख आज अमर उजाला में छपा है।) मुझे खुशफहमी नहीं है कि मेरी जो दृष्टि है, वही पूरी फिल्म इंडस्ट्री की दृष्टि है। मैं पूछता हूं कि हिंदुस्तानी सिनेमा का मयार विश्व सिनेमा में ऊंचा क्यों है? चीन जो आज हर मामले में आपसे आगे है, वह क्यों सिनेमा में पीछे है? वजह सीधी-सी है, हमारी आजादी। द राइट टू फ्री स्पीच। यह फिल्म इंडस्ट्री की धड़कन है। अगर आपने इंफ्रास्ट्रक्चर बना दिया, हर किस्म की तकनीक लगा दी, लेकिन फ्री स्पीच का गला घोंट दिया, तो इंडस्ट्री दम तोड़ देगी। चीन के पास सब कुछ है, मगर आजादी नहीं है। जो समाज अपने कलाकारों, लेखकों और निर्देशकों को जेहनी आजादी नहीं देता, वो शापित समाज है। इसके बाद आप कला और सिनेमा के विकास के लिए जितना चाहे पैसा लगा लीजिए, कुछ होने वाला नहीं है। मिडिल ईस्ट, सऊदी अरब और सिंगापुर में क्या कम पैसा है? चक्कर यह है कि आजाद सोच जहां होती है, वहीं सिनेमा या कला का जन्म होता है। 1998 में जब एनडीए सत्ता में थी, तो इन्होंने सिनेमा की आजादी को रोका था। इन्होंने मेरी फिल्म ‘जख्म’ के साथ क्या किया! यह फिल्म इनकी द