आजा नचले: पूरी तरह फिट बैठी माधुरी


-अजय ब्रह्मात्मज
आजा नचले की सबसे बड़ी खासियत सहयोगी कलाकारों का सही चुनाव है। धन्यवाद, अक्षय खन्ना, इरफान, रघुवीर यादव, रणवीर शौरी, कुणाल कपूर, कोंकणा सेन, दिव्या दत्ता, विनय पाठक और यशपाल शर्मा का ़ ़ ़ इन सभी ने मिलकर नायिका दीया (माधुरी दीक्षित) को जबर्दस्त सपोर्ट दिया है। माधुरी दीक्षित के तो क्या कहने? इस उम्र में भी नृत्य की ऐसी ऊर्जा? नई हीरोइनें सबक ले सकती हैं कि दर्शकों के दिल-ओ-दिमाग पर छाने के लिए कैसी लगन और कितनी मेहनत चाहिए। अनिल मेहता की आजा नचले की थीम चक दे इंडिया से मिलती जुलती है। वहां माहौल खेल का था, यहां माहौल नृत्य और संगीत का है। फिल्म उतनी ही असरदार है।
सबके जेहन में सवाल था कि पांच साल की वापसी के बाद माधुरी दीक्षित पर्दे पर अपना जादू चला पाएंगी या नही? आदित्य चोपड़ा और जयदीप साहनी ने उन्हें ऐसी स्क्रिप्ट दी है कि माधुरी फिल्म में पूरी तरह फिट बैठती हैं। 35 पार कर चुके दर्शक अपनी धक धक गर्ल पर फिर से सम्मोहित हो सकते हैं। नई उम्र के दर्शक देख सकते हैं कि नृत्य केवल स्टेप्स या ऐरोबिक नहीं होता, उसमें भाव होता है, भंगिमा भी होती है। माधुरी सिद्ध करती हैं कि नृत्य अभिनय का ही एक हिस्सा है।
एक छोटे शहर शामली की दीया अपने गुरु मकरंद के सान्निध्य में नृत्य और अभिनय की दीवानी हो चुकी है। उस पर पाबंदी लगाई जाती है तो वह एक विदेशी स्टीव के साथ भागकर अमेरिका चली जाती है। वहां वह नृत्य का स्कूल चलाती है। उसे खबर मिलती है कि उसके गुरु मरणासन्न हैं। वह तुरंत लौटती है, लेकिन तब तक गुरु दिवंगत हो जाते हैं। गुरु का स्थापित किया हुआ अजंता थिएटर ध्वस्त हो चुका है। उसे तोड़कर शापिंग माल बनाने की बात चल रही है। थिएटर संचालक (रघुवीर यादव) की मदद से दीया अपने गुरु की विरासत में जान फूंकने का प्रण करती है। तमाम विरोध के बावजूद कामयाब होती है। बतौर दर्शक हमें ऐसी कामयाबी प्रेरित करती है ़ ़ ़ अच्छी लगती है।
लेखक और निर्देशक ने छोटे शहर को उसके चरित्र के साथ उभारा है। अजंता थिएटर की रक्षा के बहाने फिल्म छोटे शहर की अन्य स्थितियों को भी छूती है। परोक्ष रूप से अनेक संदेश भी दे जाती है। फिल्म में कुछ भी प्रवचन की मुद्रा में नहीं है। दीया की लड़ाई वास्तव में संस्कृति और बाजार के द्वंद्व के रूप में सामने आती है। आजा नचले में सहयोगी चरित्र निभा रहे कलाकारों की कोई भी तारीफ कम होगी। यह फिल्म स्टार और बड़े कलाकार की अवधारणा को तोड़ती है। सारे कलाकार अपने किरदार में ढल गए हैं और आजा नचले को वास्तविक बना देते हैं। आखिरकार, माधुरी दीक्षित सारी अपेक्षाएं पूरी करती हैं। फिल्म की नयनाभिराम फोटोग्राफी दर्शकों को कथ्य से जोड़ती है। निर्देशक अनिल मेहता अपनी खूबियों के साथ उपस्थित हैं। अगर निर्देशक कैमरामैन रहा हो तो कथ्य और कैमरे की संगति अच्छी होती है।
फिल्म में एक ही बात खटकती है। अमेरिकी स्टीव से दीया की शादी को कामयाब भी बताया जा सकता था। क्या दीया का दांपत्य जीवन सफल होता तो कहानी में कोई फर्क पड़ता?
मुख्य कलाकार : माधुरी दीक्षित,कुणाल कपूर,कोंकणा सेन शर्मा,रणवीर शौरी,रघुबीर यादव,दर्शन जरीवाला
निर्देशक : अनिल मेहता
तकनीकी टीम : निर्माता-आदित्य चोपड़ा,लेखक-जयदीप साहनी,संगीतकार-सलीम सुलेमान,कोरियोग्राफर-वैभवी मर्चेट,

Comments

Divine India said…
I Dont think so...
ये माधुरी जी की सही वापसी हो ही नहीं सकता… एक तो अनिल मेहता से इससे ज्यादा की उम्मीद नहीं की जा सकती… पूरी कहानी पहले ही पता होती है… माधुरी की वापसी जिस नृत्य के द्वारा हुई है वह बहुत ही थका-थका सा है… हाँ इतना कहा जा सकता है कि माधुरी ने जो किया वह ठीक लगा…। बाकी बहुत सारे दरार हैं स्क्रीनप्ले में…।
जानकारी के लिए धन्यवाद...
अब तो जाना ही पडेगा देखने अपनी धक-धक गर्ल को
फिल्म मैने देखी नही है. मगर मुझे नही लगता दर्शक माधुरी को दुबारा सर आंखोपे बिठायेंगे. इस फिल्मके चलनेके चान्सेस भी कमही लगते है.

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