ऑन स्क्रीन,ऑफ स्क्रीन : बिंदास और पारदर्शी बिपाशा बसु

जीनत और परवीन बॉबी का मेल हैं बिपाशा-अजय ब्रह्मात्मज

संबंधों और अपने स्टेटस में पारदर्शिता के लिए मशहूर बिपाशा बसु आजकल नो कमेंट या चुप्पी के मूड में हैं। वजह पूछने पर कहती हैं, पूछे गए सारे सवालों का एक ही सार होता है कि क्या जॉन और मेरे बीच अनबन हो गई है? शुरू से ही अपने संबंधों को लेकर मैं स्पष्ट रही हूं। अब उसी स्पष्टता से दिए गए जवाब लोगों को स्वीकार नहीं हैं। उन्हें तो वही जवाब चाहिए, जो वे सोच रहे हैं या कयास लगा रहे हैं। मुझे यकीन है कि फिल्म रिलीज होगी और तमाम अफवाहें ठंडी हो जाएंगी। बेहतर है कि मैं अपने काम पर ही ध्यान दूं।

अफवाहों की परवाह नहीं

दरअसल, पिछले महीने फिल्म दम मारो दम के अभिनेता राणा दगुबट्टी के साथ उनकी अंतरंगता की चर्चा रही। मुमकिन है, किसी पीआर एक्जीक्यूटिव ने फिल्म के दौरान बने नए रिश्ते के पुराने फॉम्र्युले का इस्तेमाल किया हो और वह फिर से कारगर हो गया हो। हिंदी फिल्मों में रिलीज के समय प्रेम और अंतरंगता की अफवाहें फैलाई जाती हैं। सच्चाई पूछने पर बिपाशा स्पष्ट करती हैं, युवा अभिनेताओं के साथ काम करते समय मेरी कोशिश रहती है कि वे झिझकें नहीं। इसके लिए जरूरी है कि उनसे समान स्तर पर दोस्ती की जाए। बचना ऐ हसीनों में अभिनेता रणबीर कपूर, आ देखें जरा के समय नील नितिन मुकेश और दम मारो दम के दौरान राणा दगुबट्टी के साथ मैंने यही किया। अब किसी ने राणा के साथ फिल्म के लिए शूट किए गए फोटो डालकर अफवाह फैला दी है। फिल्म के दृश्य को कोई वास्तविक समझे तो कुछ नहीं किया जा सकता। बिपाशा के इस स्वभाव का खुलासा उनके निकट सहयोगी करते हैं। एक सहयोगी बताते हैं कि फिल्म बचना ऐ हसीनों की पब्लिसिटी कैंपेन के दौरान अपनी कोलकाता यात्रा में बिपाशा ने रणबीर कपूर का पूरा खयाल रखा था और उन्हें बंगाली खूबियों से परिचित कराया था। नील नितिन मुकेश के साथ भी उनकी घनिष्ठता की खबरें छपी थीं।

प्रोफेशनल नजरिया

सह-कलाकारों, परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के प्रति बिपाशा का व्यवहार सरल और सहज रहता है। निर्देशक उनकी साफगोई की कद्र करते हैं और कहते हैं कि बिपाशा किसी प्रोडक्ट, विज्ञापन या मॉडलिंग के लिए हां कहने में थोडा समय भले ही लगा दें, लेकिन एक बार सहमति के बाद वह नखरे नहीं दिखातीं। इसके कारण न तो किसी को कोई दिक्कत होती है और न कभी काम रुकता है। मैंने शूटिंग के दरम्यान देखा है कि उनका सारा ध्यान डायरेक्टर के निर्देशों पर रहता है। सीन तैयार होते ही जब उनकी बुलाहट होती है तो वह देर नहीं करतीं। आमतौर पर आर्टिस्ट पहले-दूसरे बुलावे के आग्रह को नजरअंदाज करते हैं। इस विलंब से उनका अहं भले ही तुष्ट होता हो, लेकिन सेट की एनर्जी में खलल पडता है।

बिपाशा इस बात का भी पूरा खयाल रखती हैं कि फिल्मों के सेट पर किसी और को एंटरटेन न करें। गोवा में आल द बेस्ट की शूटिंग के दौरान उनकी इस आदत के कारण बमुश्किल ही उनसे मेरी बातचीत हो पाई थी। बिपाशा सवालों से परहेज नहीं करतीं। पूछे गए हर सवाल का जवाब देना उनकी फितरत है।

कम उम्र में परिपक्वता

सिर्फ 17 साल की उम्र में बिपाशा बसु सुपर मॉडल बन गई थीं। देश-विदेश की सैर और बडे शहरों में हो रहे आयोजनों में शरीक होने से उनकी झिझक खुलती गई। वह समझदार और दुनियादार हो गई। आरंभिक दिनों में एक इंटरव्यू में उन्होंने मुझसे कहा था, जिस उम्र में लडकियां प्रेमपत्र लिखती हैं या किसी दोस्त की तसवीरें किताबों के बीच छिपाती फिरती हैं, उस उम्र में मैं दुनिया घूम रही थी। तरह-तरह के लोगों से मिल रही थी और देख रही थी कि इस दुनिया में क्या-क्या हासिल किया जा सकता है। मैंने छोटी उम्र से ही कमाना शुरू कर दिया। उसकी वजह से मेरा आत्मविश्वास बढा और मैं अपनी उम्र से कहीं अधिक परिपक्व हो गई।

उनके सामने विकल्प था कि विदेश में रह कर इंटरनेशनल सुपरमॉडल बनें और मॉडलिंग में अपने करियर को नई ऊंचाई पर ले जाएं या भारत लौट कर कुछ करें। बिपाशा ने प्रियजनों के बीच भारत लौटने का फैसला किया और मुंबई को ठिकाना बनाया। फैसला इस सोच पर आधारित था कि माडलिंग के साथ-साथ फिल्मों में भी हाथ आजमाया जाए।

अफेयर और मुश्किलें

उन दिनों डिनो मोरिया उनके दोस्त थे। दोस्ती का यह सिलसिला बाद में थम गया। बिपाशा व्यस्त होती गई। फिल्मी लोगों से मुलाकातों का सिलसिला बढा। विनोद खन्ना ने हिमालय पुत्र में अपने बेटे अक्षय खन्ना के साथ उन्हें पेश करने का प्रस्ताव दिया। कुछ कारणों से बात नहीं बनी। फिर जया बच्चन ने उन्हें अभिषेक बच्चन की जोडी के लिए उपयुक्त समझा। जेपी दत्ता अभिषेक के साथ आखिरी मुगल की तैयारी कर रहे थे। उन्हें भी बिपाशा जंचीं, लेकिन आखिरी मुगल भी फ्लोर पर नहीं जा सकी। जेपी दत्ता ने अभिषेक व करीना कपूर को रिफ्यूजी में लॉन्च किया। बिपाशा के सपनों को ठेस लगी। फिर भी कुछ समय तक वह इस आश्वासन के भरोसे रहीं कि दत्ता उनके साथ फिल्म शुरू करेंगे। यही कारण है कि जब अब्बास मस्तान के साथ तलाश का ऑफर मिला तो उन्होंने मना नहीं किया। इसके बाद फिल्म अजनबी आई। इसमें करीना कपूर, अक्षय कुमार और बॉबी देओल के साथ उन्हें पहला मौका मिला था। इस फिल्म की शूटिंग के दरम्यान उन्हें करीना कपूर की फब्तियां सहनी पडी थीं। फिल्म यूनिट से मिली अवहेलना और अपमान को नजरअंदाज कर बिपाशा ने सिर्फ अपने काम पर ध्यान दिया।

बगैर किसी गॉडफादर के बिपाशा ने इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई, जहां बाहर से आई हुई लडकियों के ख्वाब दरक जाते हैं, बिपाशा को स्वयं पर विश्वास था। उन्हें अपनी सेक्सी इमेज का एहसास था।

आत्मविश्वास से भरपूर

बिपाशा एक नदी का नाम है। इसका मतलब घनी और गहरी इच्छाएं भी होता है। नदी की तरह कलकल व्यक्तित्व है बिपाशा का। आप गौर करें तो वह कभी सिमटकर नहीं चलतीं। ऊपर से नीचे तक पूरी देह पर उनका नियंत्रण बना रहता है। इस खुलेपन के बावजूद उनकी चाल-ढाल में उच्छृंखलता नहीं हैं। जिस्म में उन्होंने कामुक सोनिया खन्ना का किरदार निभाया था। इसके क्लाइमेक्स में वह बोलती हैं, यह जिस्म प्यार नहीं जानता। जानता है सिर्फ भूख.. तो वह अश्लील या फूहड नहीं लगतीं। इस एक फिल्म ने बिपाशा बसु को खास पहचान दी।

गौर करें तो जीनत अमान और परवीन बॉबी का संयुक्त संस्करण लगती हैं बिपाशा। सेक्सी इमेज के साथ उन्होंने अपनी गरिमा भी बनाए रखी है। दूसरी हीरोइनों की तरह उन्हें बेवजह अंग प्रदर्शन करने या भडकाऊ स्टेटमेंट देने की जरूरत कभी नहीं महसूस हुई। उनकी इस छवि का इस्तेमाल एक तरफ नो एंट्री तो दूसरी ओर ओमकारा जैसी फिल्मों में अलग शैली और शिल्प के फिल्मकारों ने किया। इन फिल्मों में एक अलग ही बिपाशा नजर आई।

अदाओं का जादू

अनीस बज्मी और विशाल भारद्वाज के आयटम गीतों में बिपाशा का व्यक्तित्व ही सबसे बडा आकर्षण है। वह कुशल डांसर नहीं हैं, लेकिन अपनी अदाओं और देहयष्टि से ऐसे गानों में समुचित मादक प्रभाव पैदा कर लेती हैं। बिपाशा स्वीकारती हैं, मैं ट्रेड डांसर नहीं हूं। कोरियोग्राफर की मदद से फिल्मों के लिए आवश्यक लटके-झटके सीख गई हूं। मैं मानती हूं कि पर्दे पर सेक्सी दिखने के लिए यह बिलकुल जरूरी नहीं है कि आप फूहड हरकतें करें।

फिल्मों में काम करते हुए बिपाशा को दस साल हो गए हैं। अजनबी 2001 में आई थी। फिल्मों की संख्या और कामयाबी के लिहाज से उनका करियर उल्लेखनीय नहीं कहा जा सकता, क्योंकि वह अपनी इमेज और सीमाओं के कारण कम ही फिल्मों में जंचती हैं। बीच में उन्होंने कुछ गलत फिल्में चुनीं और उनका खमियाजा भी भुगता।

समझदारी व परिपक्वता

अब बिपाशा बसु समझदार हो चुकी हैं। अपनी इमेज बदलने के लिए उन्होंने प्रकाश झा की अपहरण में मिडिल क्लास की घरेलू लडकी मेघा का किरदार निभाया था। मधुर भंडारकर की कॉरपोरेट में वह दबंग बिजनेस टायकून थीं। उन्होंने लमहा और आक्रोश जैसी फिल्में भी कीं। दोनों में उनकी ग्लैमर-रहित भूमिकाएं थीं। पिछले दिनों हुई मुलाकात में इन फिल्मों के प्रति अपने प्रशंसकों की प्रतिक्रिया शेयर करते हुए उन्होंने अपनी बात रखी, मुझे लगता है कि मेरे प्रशंसक मुझे कमजोर और पराजित किरदारों में नहीं देखना चाहते। उनकी भावनाओं का खयाल रखते हुए मैंने तय किया कि ग्लैमरहीन भूमिकाओं में भी मैं ध्यान रखूंगी कि वे किरदार मजबूत हों। नई फिल्म सिंगुलैरिटी मेरी ऐसी ही एक फिल्म होगी।

जॉन के साथ-साथ

जॉन अब्राहम से उनकी पहली नजदीकी आगे-पीछे बनी ऐतबार व जिस्म के सेट पर हुई थी। नजदीकी दोस्ती और फिर दोस्ती प्रेम में तब्दील हुई। तब से वह जॉन के साथ हैं। दोनों फिल्म इंडस्ट्री के पहले प्रेमी युगल हैं, जिन्होंने विवाह के औपचारिक बंधन में बंधे बगैर ही परस्पर समर्पण और प्रेम का खुलेआम इजहार किया। बिपाशा ने कभी अपने संबंधों पर पर्दा नहीं डाला। वह शुरू से ही अपने संबंधों को लेकर स्पष्ट रही हैं। मुंबई में जॉन और बिपाशा स्थायी तौर पर एक छत के नीचे नहीं रहते। दोनों के पते भी अलग हैं, लेकिन उनका जुडाव और लगाव पति-पत्नी से कम नहीं है।

संबंधों का यह एक नया समीकरण है, जो बाद में फिल्म इंडस्ट्री और समाज में प्रचलित हुआ है। लिव-इन-रिलेशनशिप से अलग आयाम है इस रिश्ते का। न कोई बंधन और न कानूनी जकडन.. दो वयस्क और समझदार व्यक्ति एक-दूसरे से समर्पित प्रेम करने के साथ अपने करियर और परिवार की जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वाह कर रहे हैं। पुरुष होने के कारण जॉन अब्राहम के लिए यह सब आसान हो सकता है, लेकिन बिपाशा ने लडकी होने के बावजूद इस तरह के संबंधों में जीने का साहस दिखाया है।

सुंदर दिखना है पसंद

बिपाशा बसु को साज-सिंगार बहुत पसंद है। किसी भी अवसर पर उन्हें बेतरतीब नहीं देखा जा सकता। वह मानती हैं,सार्वजनिक जीवन में होने के कारण यह हमारा दायित्व बनता है कि हम सज-धज कर ही लोगों के सामने आएं। हम सुंदर और आकर्षक दिखते हैं तो प्रशंसकों को खुशी मिलती है। अपने इस आग्रह के बावजूद बिपाशा अपनी फिल्मों में मेकअप और एंगल के लिए बहुत अधिक परेशान नहीं रहतीं। उनके मुताबिक, डायरेक्टर को अच्छी तरह मालूम रहता है कि हमें किस रूप और अंदाज में पेश करना है। किरदार के अनुकूल ही लुक और प्रेजेंटेशन होना चाहिए।

बिपाशा के साथ कई फिल्में कर चुके निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट उनकी तारीफ करते हैं। वह कहते हैं, बंगाल से आई इस सांवली सी लडकी को मालूम है कि पर्दे पर सुंदर दिखने से अधिक जरूरी है अपने किरदार में दिखना। राज में पति के रक्षक के तौर पर आई एक घरेलू औरत और जिस्म की सेक्सी लडकी सोनिया का किरदार बिपाशा ही निभा सकती थी। खासकर जिस्म के किरदार को आत्मसात करना किसी भी अभिनेत्री के लिए बडी चुनौती हो सकती है। इस फिल्म के बोल्ड दृश्यों में भी सिर्फ अपने विश्वास के कारण ही बिपाशा अश्लील नहीं लगतीं।


Comments

Anonymous said…
aapkaa bhee character dheelaa lagtaa hai..Ajay..

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