पीके फिल्‍म की धुरी है यह गीत और संवाद

पीके के पर चल रहे इस विवाद के संदर्भ में कि फिल्‍म में केवल हिंदू धर्म और साधु-संतों पर निशाना साध गया है... 
पेश है फिल्‍म का एक गीत और वह महत्‍वपूर्ण संवाद जो फिल्‍म की धुरी है....112वें मिनट से 116 वें मिनट तक आप फिल्‍म में इन्‍हें सुन सकते हैं।

 

Bhagwan Hai Kahan Re Tu Lyrics

Hai suna ye poori dharti tu chalata hai
Meri bhi sun le araj mujhe ghar bulata hai
Bhagwan hai kahan re tu
Hey Khuda hai kahan re tu

Hai suna tu bhatke mann ko raah dikhata hai
Main bhi khoya hun mujhe ghar bulata hai
Bhagwan hai kahan re tu
Hey Khuda hai kahan re tu

Aa...
Main pooja karun ya namajein padhun
Ardaasein karun din rain
Na tu Mandir mile, na tu Girje mile
Tujhe dhoondein thake mere nain
Tujhe dhoondein thake mere nain
Tujhe dhoondein thake mere nain

Jo bhi rasmein hain wo saari main nibhata hoon
In karodon ki tarah main sar jhukata hoon
Bhagwan hai kahan re tu
Aye Khuda hai kahan re tu

Tere naam kayi, tere chehre kayi
Tujhe paane ki raahein kayi
Har raah chalaa par tu na mila
Tu kya chaahe main samjha nahin
Tu kya chaahe main samjha nahin
Tu kya chaahe main samjha nahin

Soche bin samjhe jatan karta hi jaata hun
Teri zid sar aankhon par rakh ke nibhata hun
Bhagwan hai kahan re tu
Aye Khuda hai kahan re tu

Hai suna ye poori dharti tu chalata hai
Meri bhi sun le araj mujhe ghar bulata hai
Bhagwan hai kahan re tu
Hey Khuda hai kahan re tu
Bhagwan hai kahan re tu
Hey Khuda hai kahan re tu..

....बहुत ही कनफुजिया गया हूं भगवान। कुछ तो गलती कर रहा हूं कि मेरी बात तुम तक पहुंच नहीं रही है। हमारी कठिनाई बूझिए न। तनिक गाइड कर दीजिए... हाथ जोड़ कर आपसे बात कर रहे हैं...माथा जमीन पर रखें, घंटी बजा कर आप को जगाएं कि लाउड स्पीकर पर आवाज दें। गीता का श्लोक पढ़ें, कुरान की आयत या बाइबिल का वर्स... आप का अलग-अलग मैनेजर लोग अलग-अलग बात बोलता है। कौनो बोलता है सोमवार को फास्ट करो तो कौनो मंगल को, कौनो बोलता है कि सूरज डूबने से पहले भोजन कर लो तो कौनो बोलता है सूरज डूबने के बाद भोजन करो। कौनो बोलता है कि गैयन की पूजा करो तो कौनो कहता है उनका बलिदान करो। कौना बोलता है नंगे पैर मंदिर में जाओ तो कौनो बोलता है कि बूट पहन कर चर्च में जाओ। कौन सी बात सही है, कौन सी बात लगत। समझ नहीं आ रहा है। फ्रस्टेटिया गया हूं भगवान...

Comments

sanjeev5 said…
आप भी आ गए राजू और आम़िर की बेवकूफिओं को बचाने? आप जैसे नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा? एक बेहद साधारण फिल्म की इतनी चर्चा क्यों? इसे ऑस्कर के लिए भेज देते हैं. संगीत तो है ही नहीं. आम़िर तो अपनी हर फिल्म को ऑस्कर विजेता ही समझते हैं. हीरोइन का तो पूरी तरह सत्यानाश कर दिया है. पता नहीं वो क्या कर रही थी इस फिल्म में. एक बचकानी फिल्म का बहुत ही साधारण चित्रण किया गया है.
maanas said…
मै संजीव जी की बातो से पूरी तरह सहमत हूँ. साधारण फिल्म. लेकिन एक साधारण फिल्म बनाना कितना असाधारण होता है ये भी आपको जानना चाहिए. एक अदना दर्शक की तरह मुझे इस फिल्म में इतना कुछ दिख जाता है. हैरत की बात है की आपको नहीं दिखता.

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