शाहरुख़ खान को फ़्रांस का सम्मान

शाहरुख़ खान को कल रात फ़्रांस के राजदूत जेरोम बोनाफों ने फ़्रांस के प्रतिष्ठित insignia of officer in the order of arts & letters से सम्मानित किया.उन्हें यह सम्मान इसलिए दिया गया है कि उन्होंने कला और साहित्य के क्षेत्र में प्रसिद्धि पायी है और फ़्रांस एवं शेष दुनिया में उसे प्रचारित भी किया है.यह हिन्दी फिल्मों का जलवा है.शाहरुख़ खान को इतराने का यह मौका उसी हिन्दी फिल्म ने दिया है,जिसमें बोलने और बात करने से वे कतराते हैं.उस पर चवन्नी फिर कभी विस्तार से बताएगा।

कल रात मुम्बई के एक पंचसितारा होटल में यह सम्मान दिया गया.फ़्रांस के राजदूत महोदय ने आश्वस्त किया कि भविष्य में हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं की फिल्मों को ज्यादा तरजीह दी जायेगी.कोशिश रहेगी कि कान फिल्म महोत्सव में भारत की फिल्में आमंत्रित की जाएँ.राजदूत महोदय ने स्वीकार किया कि फ़्रांस अभी तक भारतीय फिल्मों को अधिक तवज्जो नहीं दे रहा था।

इस अवसर पर शाहरुख़ खान ने फ्रांसीसी फिल्मों की तारीफ की और जोर देकर कहा कि हर दर्शक और फिल्मकार को फ़्रांस की फिल्में देखनी चाहिए.उन्होंने बगैर किसी शर्म के बताया कि वे दिल्ली में जवानी के दिनों में फ्रांसिसी फिल्में देखा करते थे.देखने के मुख्य वजह उन फिल्मों के प्रणय दृश्य होते थे।

फ़्रांस के अपने अनुभव बांटते हुए उनहोंने बताया कि उन्हें इस बात का एहसास है कि वे फ़्रांस में काफी पॉपुलर हैं.एक बार वे मशहूर रित्ज़ होटल में ठहरे थे.होटल से निकलने लगे तो भीड़ उमड़ पड़ी.किसी ने कहा कि यह टॉम क्रूज़ नहीं है ,फिर इतनी भीड़ क्यों?थोडी देर में भीड़ का एक और रेला शाहरुख़ खान और एस आर के चिल्लाता हुआ आया और सवाल पूछने वाला उस लहर में खो गया.

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